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नए अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून के नए नियम अधिसूचित

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 14 अप्रैल, 2016 को बाबासाहेब भीम राव अंबेडकर की जयंती पर अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून, 2016 को अधिसूचित कर दिया।

संसद ने 2016 में अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून, 1989 में संशोधन किया था ताकि अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को अत्याचार से बचाने के लए कड़े प्रावधान लाए जा सकें।

इन प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम बन चुके हैं। इन नियमों से अत्याचार के शिकार लोगों को मिलने वाले न्याय में तेजी आएगी। ये नियम महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों के प्रति काफी संवेदनशील हैं। ये नियम अत्याचार के शिकार होने वाले अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों को इससे मुक्त करेंगे और उन्हें जल्द राहत प्रदान करेंगे।

नए नियमों के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान हैं-

1. अत्याचार के मामले में 60 दिनों के अंदर जांच पूरी कर अदालत में आरोपपत्र दाखिल करना होगा।

2. बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामले में राहत का प्रावधान ( यह प्रावधान पहली बार लाया गया है)

3. यौन उत्पीड़न, इशारे या किसी अन्य कृत्य द्वारा महिलाओं के सम्मान को चोट पहुंचाने, हमला, र्निवस्त्र करने के लिए आपराधिक ताकत का इस्तेमाल, छिप कर देखने या पीछा करने के मामले में राहत पाने के लिए मेडिकल परीक्षण की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है।

4. गंभीर किस्म के अपराधों में अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं को ट्रायल खत्म होने पर ही राहत का प्रावधान, चाहे मुकदमा में किसी को दोषी न ठहराया गया हो।

5. अत्याचार की प्रकृति के आधार पर राहत राशि 75000 रुपये से 7,50000 रुपये के बैंड से बढ़ा कर 85,0000 रुपये से लेकर 8,25,0000 रुपये कर दी गई। इसे जनवरी, 2016 के औद्योगिक श्रमिकों के लिए थोक मूल्य सूचकांक से जोड़ दिया गया है।

6. अत्याचार के शिकार, उनके परिवार के सदस्यों और आश्रितों को सात दिन के भीतर नकदी और अन्य राहत प्रदान करने का प्रावधान।

7. अलग-अलग किस्म के अत्याचार के शिकार लोगों के लिए राहत राशि के भुगतान का उचित वर्गीकरण।

8. अत्याचार के शिकार लोगों और गवाहों के अधिकार और सुविधाओं की समीक्षा के लिए राज्य, जिला और सब-डिवीजन में संबंधित बैठकों में समीक्षा।

अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून के नए नियम बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की समान और न्यायपूर्ण समाज रचना की दृष्टि की ओर हमारी यात्रा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

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