वेलिंगटन: टीम इंडिया व न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम के बीच आईसीसी दुनिया टेस्ट चैम्पियनशिप के तहत चल रहे दो टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट में हिंदुस्तान को 10 विकेट की बुरी पराजय मिली. कीवी टीम बल्लेबाजी व गेंदबाजी दोनों मोर्चे पर हिंदुस्तान से बेहतर टीम साबित हुई. आईसीसी टेस्ट चैम्पियनशिप के तहत लगातार सात टेस्ट जीतकर न्यूजीलैंड पहुंची हिंदुस्तान की टीम के साथ आखिर क्या गलत हुआ. रणनीति में क्या चूक हुई कि अपराजेय दिख रही टीम इंडिया पहले टेस्ट इस बुरी तरह धारासाई हो गई. आइए जानते हैं इस मैच में हिंदुस्तान की पराजय के क्या रहे कारण.
वनडे सीरीज के बाद ज्यादा समय नहीं होना
आधुनिक क्रिकेट में अब यह स्थायी समस्या बनती जा रही है कि एक सीरीज में खिलाड़ियों को टी-20, वनडे व टेस्ट सीरीज के बीच ज्यादा समय नहीं मिलता है. वनडे सीरीज समाप्त होने के 10 दिन के भीतर भारतीय टीम को टेस्ट मैच खेलने उतरना पड़ा. इस बीच में सिर्फ एक तीन दिवसीय एक्सरसाइज मैच खेलने का मौका मिला. इस वजह से एक टीम के तौर पर वह खुद को इतनी जल्दी ढाल नहीं पाए.
टीम इंडिया का टॉस हारना
टीम इंडिया के कैप्टन विराट कोहली वेलिंगटन में टॉस हारे व उन्हें पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी. तेज गेंदबाजों की मददगार पिच व मौसम में टीम इंडिया के बल्लेबाज कीवी टीम के तेज गेंदबाजों के सामने सहज नहीं दिखे व पूरी टीम पहली पारी में 165 रनों पर धारासाई हो गई. अगर टीम इंडिया टॉस जीतती तो इस पिच पर भारतीय तेज गेंदबाज भी कुछ ऐसा ही कहर ढा सकते थे. बता दें कि कैप्टन कोहली की टेस्ट में यह 11वीं पराजय है व वह अपने वही सारे मैच हारे हैं, जिनमें वह टॉस नहीं जीत पाए हैं.
सलामी बल्लेबाजों से अच्छी आरंभ न मिलना
वनडे सीरीज की ही तरह ही टेस्ट सीरीज में भी मयंक अग्रवाल व पृथ्वी शॉ की नयी सलामी जोड़ी हिंदुस्तान को अच्छी आरंभ देने में नाकाम रही. पहली पारी में इन दोनों ने पहले विकेट के लिए महज 16 रनों की साझेदारी की तो दूसरी पारी में ये दोनों मिलकर महज 27 रन जोड़ पाए. हालांकि मयंक अग्रवाल ने दोनों पारियों में अच्छी बल्लेबाजी की, लेकिन वह अपनी पारी को लंबी नहीं खींच पाए. पहली पारी में उन्होंने 34 तो दूसरी पारी में 58 रन बनाए.
पूरी भारतीय बल्लेबाजी का न चलना
मयंक अग्रवाल के बाद कुछ हद तक अजिंक्य रहाणे ही ऐसे बल्लेबाज रहे, जिन्होंने दोनों पारियों में विकेट पर टिकने की प्रयास की. रहाणे ने पहली पारी में 46 तो दूसरी में 29 रनों की पारी खेली. उनके अतिरिक्त कोई कैप्टन विराट कोहली व चेतेश्वर पुजारा जैसे महान बल्लेबाजों समेत किसी भी भारतीय बल्लेबाज ने दम नहीं दिखाया. कीवी गेंदबाजों के सामने सबने सरेंडर कर दिया.
विराट कोहली का फॉर्म
भारत की पराजय में सबसे अहम किरदार खुद कैप्टन विराट कोहली के फॉर्म ने भी निभाई. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट को मिलाकर वह पिछली 20 पारियों से शतक नहीं बना पाए हैं व महज छह बार 50 पार पहुंचे हैं. उन्होंने अपना आखिरी शतक पिछले वर्ष अक्टूबर में कोलकाता में खेले गए दिन-रात के आखिरी मैच में लगाया था. इसके बाद से वह रनों के लिए तरस रहे हैं.
भारतीय तेज गेंदबाजों का कहर
इसके अतिरिक्त कीवी तेज गेंदबाजों ने इस मैच में जान निकाल कर गेंदबाजी की. उन्होंने वेलिंगटन की पिच व तेज गेंदबाजों के लिए मददगार कीवी मौसम का जमकर लाभ उठाया व कीवी तेज तिकड़ी ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी तथा काइली जैमिसन भारतीय बल्लेबाजों पर कहर बनकर टूटे, खासकर टिम साउदी. इन्होंने हिंदुस्तान की दोनों पारियों को मिलाकर हिंदुस्तान के गिरे 20 विकेट में से 9 विकेट अपने नाम किए. वहीं इन तीनों की बात करें तो इन्होंने कुल 20 में से 18 विकेट अपने नाम किए. बोल्ट ने कुल पांच व जैमिसन ने अपने खाते में चार विकेट डाले.
विराट की कप्तानी में चूक
टीम इंडिया पहली पारी में जल्दी आउट होने के बाद कीवी टीम के सात विकेट 225 रनों पर गिरा चुकी थी. वह कीवी टीम की पहली पारी को 250 के भीतर निबटा देती तो कीवी टीम को 183 रनों की विशाल बढ़त नहीं मिलती. लेकिन इसके बाद हिंदुस्तान ने जब कीवी पारी में दूसरी बार नयी गेंद ली तो उसने भारतीय तेज गेंदबाजों से लंबा स्पेल नहीं करवाया, जबकि यह विकेट तेज गेंदबाजों को मदद कर रही थी. नयी गेंद से तेज गेंदबाजों की जोड़ी से चार ओवर फेंकवाने के बाद कैप्टन कोहली ने एक तरफ से आर अश्विन को लगा दिया. इसका लाभ उठाकर कीवी टीम के पुछल्ले बल्लेबाजों ने 123 रन व जोड़ दिए, जो मैच में निर्णायक साबित हुआ. Source News Express24