नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम को सुक्ष्म, लघु तथा मझौले उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय द्वारा मिनीरत्न श्रेणी (श्रेणी।।) के अंतर्गत विजेता चुना गया है। यह मंत्रालय के अनुसूचित जाति/ जनजाति उद्यमियों के प्रोत्साहन की दिशा में उदहारणीय कार्य को मान्यता देने में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के चयन के प्रयास के रूप में किया गया है। इसके लिए प्रदर्शन मानक अनुसूचित जाति/ जनजाति उद्यमियों की प्राप्ति, अनुसूचित जाति/ जनजाति के लिए वेंडर विकास कार्यक्रमों की संख्या तथा सम्बंध पोर्टल पर अपलोड किये गये डाटा के अनुसार लाभान्वित अनुसूचित जाति/ जनजाति उद्यमियों की संख्या है।
एनएफडीसी के बारे में
राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड का गठन भारत सरकार द्वारा 1975 में किया गया। इसका उद्देश्य भारतीय फिल्म उद्योग के संगठित, सक्षम और एकीकृत विकास का नियोजन और प्रोत्साहन है। एनएफडीसी ने अब तक 300 से अधिक फिल्मों का धनपोषण / निर्माण किया है। विभिन्न भारतीय भाषाओं में बनी यह फिल्में काफी सराही गई हैं और इन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। एनएफडीसी की प्राथमिक गतिविधियां – फिल्म निर्माण, पहली बार निर्देशन तथा विदेशी और भारतीय फिल्म निर्माताओं के साथ सह-निर्माण के लिए 100 प्रतिशत वित्त पोषण, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में भारतीय फिल्मों को प्रोत्साहन देना तथा भारत और विदेशों में फिल्मों की मार्केटिंग हैं। एनएफडीसी का फिल्म बाजार विश्व को भारतीय सिनेमा के प्रोत्साहन और प्रसतुतीकरण के लिए अग्रणी मंच बन गयी है। एनएफडीसी अब विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्मों पर विज्ञापन संचार सृजन और प्रसार के लिए एकीकृत मीडिया सेवा प्रदाता बन गयी है। विश्व के फिल्म निर्माताओं के लिए भारत को पसंदीदा स्थान बनाने और प्रोत्साहित करने में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एनएफडीसी के तहत फिल्म सहायता कार्यालय (एफएफओ) की स्थापना करके अग्रणी भूमिका निभाई।