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एनएफएचएस का डेटा सभी संबंधित मंत्रालयों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के लिए लाभप्रद होगा: केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव

देश-विदेश

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य)डॉ. विनोद कुमार पॉलऔर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री राजेश भूषणने आज नई दिल्ली मेंभारत और 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (द्वितीय चरण के तहत क्लब) के लिए जनसंख्या, प्रजनन तथा बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण एवं अन्य पर प्रमुख संकेतकों के 2019-21 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) तथ्यपत्रक (फैक्टशीट) जारी किए।

चरण- II में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया, वे हैं अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रदिल्ली, ओडिशा, पुद्दुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। पहले चरण में शामिल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में एनएफएचएस-5 के निष्कर्ष दिसंबर, 2020 में जारी किए गए थे।

एनएफएचएस को लगातार कई दौरों में जारी करने का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा अन्य उभरते मुद्दों से संबंधित विश्वसनीय और तुलनात्मक डेटा प्रदान करना है। एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण कार्य देश के 707 जिलों (मार्च, 2017 तक) के लगभग 6.1 लाख नमूना परिवारों में किया गया है, जिसमेंजिला स्तर तक अलग-अलग अनुमान प्रदान करने के लिए 724,115 महिलाओं और 101,839 पुरुषों को शामिल किया गया। एनएफएचएस-5 के सभी परिणाम मंत्रालय की वेबसाइट (www.mohfw.gov.in) पर सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं।

अखिल भारतीय तथा राज्य/केंन्द्र शासित प्रदेशके स्तर परजारी किए गए फैक्टशीट में 131 प्रमुख संकेतकों की जानकारी शामिल है। यह महत्वपूर्ण संकेतकों के बारे में जानकारी प्रदान करता है जो देश में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति को ट्रैक करने में सहायक होते हैं। एनएफएचएस-4 (2015-16) अनुमानों का उपयोग बड़ी संख्या में एसडीजी संकेतकों के लिए आधारभूत मूल्यों के रूप में किया गया था। एनएफएचएस-5 के कई संकेतक 2015-16 में किए गए एनएफएचएस-4 के समान हैं,जो समय के साथ तुलना कोसंभव बनाते हैं। हालांकि, एनएफएचएस-5 में विशेष ध्यान वाले कुछ नए क्षेत्र शामिल हैं, जैसे मृत्यु पंजीकरण, पूर्व-विद्यालय शिक्षा, बाल टीकाकरण के विस्तारित क्षेत्र, बच्चों के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों के घटक, मासिक धर्म स्वच्छता, शराब एवं तंबाकू के उपयोग की आवृत्ति, गैर-संक्रामक रोगों(एनसीडी)के अतिरिक्त घटक रोग, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी लोगों में उच्च रक्तचाप और मधुमेह को मापने के लिए विस्तारित आयु सीमा, जो मौजूदा कार्यक्रमों को मजबूत करने तथा नीतिगत हस्तक्षेप के लिए नई रणनीति विकसित करने के लिए आवश्यक विवरण देगा।

भारत और दूसरे चरण के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के एनएफएचएस-5 फैक्टशीट क्षेत्रों के मुख्य परिणाम नीचे दिए गए हैं:

• कुल प्रजनन दर (टीएफआर), राष्ट्रीय स्तर पर प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है और सभी 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ में 1.4 से लेकर उत्तर प्रदेश में 2.4 हो गई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी चरण-II राज्यों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर (2.1) हासिल कर लिया है।

• समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (सीपीआर) अखिल भारतीय स्तर पर और पंजाब को छोड़कर लगभग सभी चरण-II राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 54 प्रतिशत से 67 प्रतिशत तक बढ़ गई है। लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है।

• परिवार नियोजन की अधूरी जरूरतों में अखिल भारतीय स्तर पर और दूसरे चरण के अधिकांश राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 13 प्रतिशत से 9 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है। अंतराल की अपूर्ण आवश्यकता जो अतीत में भारत में एक प्रमुख मुद्दा बनी हुई थी, झारखंड (12 प्रतिशत), अरुणाचल प्रदेश (13 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (13 प्रतिशत) को छोड़कर सभी राज्यों में घटकर 10 प्रतिशत से कम हो गई है।

• 12-23 महीने की आयु के बच्चों के बीच पूर्ण टीकाकरण अभियान में अखिल भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से 76 प्रतिशत तक पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है। 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 12-23 महीने की आयु के पूर्णटीकाकरण वालेतीन-चौथाई से अधिक बच्चे हैं और यह ओडिशा के लिए अधिकतम (90 प्रतिशत) है।

एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 डेटा की तुलना करने पर, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पूर्ण टीकाकरण कवरेज में तेजवृद्धि देखी गई है; चरण- II के 50 प्रतिशत से अधिक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश 4 वर्षों की छोटी अवधि के दौरान 10 प्रतिशत से अधिक प्वाइंट साझा कर रहे हैं। इसका श्रेयसरकार द्वारा 2015 से शुरू किए गए मिशन इंद्रधनुष की प्रमुख पहल को दिया जा सकता है।

• अखिल भारतीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा अनुशंसित चार या अधिक एएनसी विजिट पाने वाली महिलाओं की संख्या 51 प्रतिशत से बढ़कर 58 प्रतिशत हो गई है।

साथ ही, 2015-16 से 2019-20 के बीच पंजाब को छोड़कर सभी चरण-II राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने सुधार दर्शाया है।

• अखिल भारतीय स्तर पर अस्पतालों में जन्म 79 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गए हैं। पुद्दुचेरी और तमिलनाडु में अस्पतालों में प्रसव 100 प्रतिशत है और दूसरे चरण के 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 7 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 90 प्रतिशत से अधिक है।

• अस्पतालों में जन्मों की संख्या वृद्धि के साथ-साथ, कई राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में विशेष रूप से निजी स्वास्थ्य सुविधाओं में सी-सेक्शन प्रसव में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है।

• अखिल भारतीय स्तर पर बाल पोषण संकेतक थोड़ा सुधार दिखाते हैं, क्योंकि स्टंटिंग 38 प्रतिशत से घटकर 36 प्रतिशत हो गया है, 21 प्रतिशत से 19 प्रतिशत और कम वजन 36 प्रतिशत से घटकर 32 प्रतिशत हो गया है। सभी चरण-II राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बाल पोषण के संबंध में स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन यह परिवर्तन महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि इन संकेतकों के संबंध में बहुत कम अवधि में भारी बदलाव की संभावना नहीं है।

• बच्चों और महिलाओं में एनीमिया चिंता का विषय बना हुआ है। एनएफएचएस-4 की तुलना में सभी चरण-II राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अखिल भारतीय स्तर पर गर्भवती महिलाओं द्वारा 180 दिनों या उससे अधिक समय तक आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) गोलियों के सेवन के बावजूदआधे से अधिक बच्चे और महिलाएं (गर्भवती महिलाओं सहित) एनीमिया से ग्रस्त हैं।

• 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को विशेष रूप से स्तनपान कराने से अखिल भारतीय स्तर पर 2015-16 में 55 प्रतिशत से 2019-21 में 64 प्रतिशत तक सुधार हुआ है। दूसरे चरण के सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश भी काफी प्रगति दिखा रहे हैं।

• महिला सशक्तिकरण संकेतक अखिल भारतीय स्तर पर और सभी चरण-II राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उल्लेखनीय सुधार दर्शाते हैं। अखिल भारतीय स्तर पर महिलाओं के बैंक खाते संचालित करने के संबंध में एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के बीच उल्लेखनीय प्रगति 53 प्रतिशत से 79 प्रतिशत तक दर्ज की गई है। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश के मामले में 37 प्रतिशत प्वाइंट तक वृद्धि हुई थी, जो 37 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक थी। दूसरे चरण में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं के बैंक खाते चालू हैं।

नीति आयोग केसदस्य (स्वास्थ्य) ने सभी स्वास्थ्य प्रशासकों को बीमा कवरेज के व्यापक विस्तार पर बधाई दी, जिसे एनएफएचएस-5 में शामिल किया गया है। उन्होंने इस विचार का समर्थन किया कि सर्वेक्षण के डेटा से सरकार को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने में मदद मिलेगी और कहा, “एनएफएचएस-5 दर्शाता है कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में और अधिक तेजी आ रही है।”

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि घरेलू प्रश्नावली के व्यापक दायरे के साथ, एनएफएचएस से उत्पन्न डेटा सभी संबंधित मंत्रालयों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के लिए लाभप्रद होगा। उन्होंने कहा कि एनएफएचएस-5 का डेटा आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और प्रधानमंत्री-सुरक्षित मातृत्व अभियान के परिवर्तनकारी उपायों को पूरी तरह से ग्रहण नहीं करता है, क्योंकि देशभर में घरों का सर्वेक्षण किया जा रहा था। उन्होंने यह भी बताया कि जनसंख्या में पोषण की कमी और एनीमिया से निपटने के लिए महिला एवं बाल विकास, खाद्य, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्रालयों के बीच अंतर-मंत्रालयी समन्वय की आवश्यकता है, जैसा कि सर्वेक्षण में दिखाया गया है।

अपर सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक श्री विकास शील,  अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार डॉ. धर्मेंद्र सिंह गंगवार,  अपर सचिव (स्वास्थ्य)सुश्री आरती आहूजा, अपर सचिव (स्वास्थ्य)डॉ. मनोहर अगनानी, महानिदेशक (सांख्यिकी)सुश्री संध्या कृष्णमूर्ति, भारतीय जनसंख्या अध्ययन संस्थान, मुंबई के निदेशक प्रो. के.पी. जेम्सऔर मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ बैठक मेंएम्स नई दिल्ली केबाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) अशोक देवरारीऔर यूएसएआईडी जैसे विकास भागीदारों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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