नई दिल्ली: दिल्ली, हैदराबाद और पुणे के बाद अब भुवनेश्वर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) का चौथा राष्ट्रीय डेटा सेंटर बन गया है। इस क्लाउड-सक्षम नये राष्ट्रीय डेटा सेंटर का लक्ष्य केन्द्र और राज्य सरकारों के विभिन्न ई-गवर्नेंस एप्लिकेशन्स के लिए सुरक्षित होस्टिंग के साथ चौबीसों घंटे अपनी सेवाएं मुहैया कराना है। यह डेटा सेंटर 35,000 वर्चुअल सर्वरों का परिचालन सुचारू रूप से जारी रखने में सक्षम है।
इस डेटा सेंटर का लोकार्पण करते हुए केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि भुवनेश्वर स्थित यह डेटा सेंटर वैश्विक मानकों के अनुरूप है। नये राष्ट्रीय डेटा सेंटर के महत्व पर विशेष जोर देते हुए श्री प्रसाद ने यह भी कहा कि डेटा सेंटर की विशेष अहमियत होती है, क्योंकि डेटा की सुरक्षा अत्यंत जरूरी है और आईटी संबंधी परितंत्र में डेटा सेंटर किसी भी राज्य अथवा स्थान की डिजिटल क्षमता को बढ़ा देता है और इसके साथ ही उसकी वैश्विक पैठ को मजबूत कर देता है। इस अवसर पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान भी उपस्थित थे।
एनआईसी की महानिदेशक नीता वर्मा ने इस डेटा सेंटर को लांच किये जाने के अवसर पर कहा, ‘एनआईसी द्वारा माईगव, ईवे-बिल, सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली और ई-हॉस्पिटल्स सहित विभिन्न सरकारी एप्स को होस्ट किये जाने को देखते हुए कम्प्यूटिंग और स्टोरेज की मांग कई गुना बढ़ गई है।’ देश भर में स्थित एनआईसी के विभिन्न केन्द्रों में फिलहाल 4500 कर्मचारी कार्यरत हैं और एनआईसी अगले एक वर्ष में 800 प्रोफेशनलों की भर्ती करेगा, जिनमें 355 साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ भी शामिल हैं। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य साइबर सुरक्षा के बढ़ते खतरों से निपटना है। एनआईसी समस्त सरकारी सेवाओं को आवश्यक तकनीकी सहायता मुहैया कराता है और सरकार की लगभग 10,000 वेबसाइटों को होस्ट करता है।
क्लाउड-सक्षम राष्ट्रीय डेटा सेंटर अनेक तरह के लाभ प्रदान करने में समर्थ होगा, जिनमें ‘मांग पर’ आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) बुनियादी ढांचागत सुविधाओं तक पहुंच सुलभ कराना भी शामिल है। पारम्परिक मॉडल में विभिन्न विभागों को परियोजना की शुरुआत में ही बुनियादी ढांचे के लिए बजट का प्रावधान करने के साथ-साथ इसे हासिल करना होता है, जिससे या तो बुनियादी ढांचे का आवश्यकता से अधिक प्रावधान करना होता है अथवा आवश्यकताओं में कमी करनी होती है। वहीं, दूसरी ओर एनआईसी की क्लाउड सर्विस के तहत विभिन्न विभाग ‘मांग पर’ बुनियादी ढांचे के लिए प्रावधान कर सकेंगे और कम्प्यूटिंग क्षमता बढ़ा सकेंगे।