निहारिका भट्ट ने अमेरिका से अपने माता-पिता को फोन किया और अपनी ख्वाहिश बताई। पापा ने बेटी की ललक देखी औऱ मंजूरी दे दी। मई 2014 में निहारिका भारत आ गईं और लगन के साथ पढ़ाई की। वे सिर्फ खाना खाने के लिए ही अपने कमरे से बाहर निकलती थीं।
उनकी मेहनत का फल ही है कि एक साल में ही वे IPS बन गईं। निहारिका ने अमेरिका जाने से पहले लखनऊ के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में पढ़ाई की।
उसने कोई कोचिंग क्लासेस नहीं लीं, लेकिन खुद से पढ़ाई करने का फैसला किया। वह कहती है कि वह प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक समय तक पढ़ाई करती थी। दिल्ली में रहने के दौरान, मैं हर किसी से कट गई थी। मेरे माता-पिता को छोड़कर, परिवार में किसी के पास मेरा फोन नंबर नहीं था।
अपने साक्षात्कार के दौरान उनसे खाप पंचायतों और विभिन्न मौजूदा मुद्दों के बारे में पूछा गया था, और उनका कहना है कि वह जवाब देने में सक्षम थीं क्योंकि उन्होंने इंटरनेट की मदद से सब कुछ पढ़ा था।
निहारिका पहले उत्तराखंड कैडर की अधिकारी होने के नाते उत्तराखंड में तैनात थी लेकिन विवाह के बाद उन्हें पति के कैडर को ज्वाइन करने के नियम का लाभ मिला और उनके कैडर परिवर्तन को मंजूरी मिली। उनके पति अर्जुन शर्मा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं।