जब भी किसी को आर्थिक कष्ट होते हैं तो वह लक्ष्मी की कामना करने लगता है.महालक्ष्मी की पूजा से कुंडली के कई ग्रह दोष भी दूर हो सकते हैं. सभी नौ ग्रहों के उपाय करने के साथ ही देवी लक्ष्मी के प्रतीक श्रीयंत्र की पूजा नित्य करने से न केवल बड़ी परेशानियां दूर होती है ,बल्कि धन लाभ भी होने लगता है.आईए जानते हैं श्री यंत्र के स्वरूप इसके पूजन के बारे में कुछ खास बातें –
श्रीयंत्र का स्वरूप : कहते हैं जैसे मंत्रों की शक्ति उनके शब्दों में होती है, ठीक वैसे ही श्रीयंत्र की शक्ति इसकी रेखाओं बिंदुओं में होती है. श्रीयंत्र में 9 त्रिभुज होते हैं. इन 9 त्रिभुजों से मिलकर 45 नए त्रिभुज बनते हैं. श्रीयंत्र के बीच में सबसे छोटे त्रिभुज के बीच एकबिंदु होता है. श्रीयंत्र में कुल 9 चक्र होते हैं जो कि 9 देवियों का प्रतीक माने गए हैं .अलग -अलग धातुओं से निर्मित श्रीयंत्र का लाभ अलग -अलग मिलता है.
श्रीयंत्रों के प्रकार उनके लाभ : पारद श्रीयंत्र रखने से सिद्धि व लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. जबकि अष्टधातु का श्रीयंत्र पारिवारिक सुख धन लाभ देता है.स्वर्ण श्रीयंत्र व्यवसाय के लिए शुभ माना गया है.वहीं तांबे का श्रीयंत्र रखने से धन की कामना पूरी होती है. रजत यानी चांदी का श्रीयंत्र दान देने के लिए उपयुक्त है.
पूजन विधि : एक लाल कपड़े पर श्रीयंत्र रखें उसके एक तरफ जल का कलश रखें. रोज श्रीयंत्र पर श्रीं यानी लक्ष्मी के बीज मंत्र का उच्चारण कर कुमकुम चढ़ाएं. विधि-विधान से पूजा करें. इस तरह 11 दिन तक पूजा करने के बाद तिजोरी में एक लाल कपड़ा बिछाकर उस पर श्रीयंत्र रख दें .आपके यहां धन की कमी नहीं होगी.