नई दिल्ली: भारत के रजिस्ट्रार जनरल तथा जनगणना आयुक्त ने निःशक्तजनों की आबादी पर जनगणना-2011 का डाटा जारी किया है। यह डाटा निःशक्तता के प्रकार, निःशक्तजनों के परिवारों के प्रकार तथा लिंग के आधार पर जारी किया गया है। डाटा में भारत / राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के निःशक्तजनों के परिवारों की संख्या भी है। इन परिवारों में सामान्य परिवार , संस्थागत परिवार तथा आवासहीन परिवारों को रखा गया है। विभिन्न प्रकार के परिवारों में रह रहे निःशक्तजनों को आठ प्रकार की निःशक्तता की श्रेणी में रखा गया है। इनमें देखने, सुनने , बोलने ,चलने, मानसिक विकास में अवरोध , मनोरोग तथा बहु पक्षीय निःशक्तता शामिल है।
जारी डाटा के अनुसार देश में 207.8 लाख परिवारों में निःशक्तजन हैं। यह कुल परिवारों का 8.3 प्रतिशत है। कुल परिवारों में से 99 प्रतिशत परिवार सामान्य परिवार हैं , 0.4 प्रतिशत परिवार संस्थागत हैं और 0.2 प्रतिशत परिवार आवासहीन हैं। निःशक्तजनों के परिवारों की संख्या 20.5 लाख बढ़ी है। यह संख्या 2001 में 187.3 लाख थी जो 2011 में बढ़कर 207.8 लाख हो गई।(ग्रामीण क्षेत्रों में 6.2 लाख तथा शहरी क्षेत्रों में 14.3 लाख) । 2001-2011 के दशख में निःशक्तजनों के सामान्य परिवारों की संख्या बढ़कर 2,02,4495, संस्थागत परिवारों की संखाया बढ़कर 8,370 तथा आवासहीन परिवारों की संख्या बढ़कर 13,560 हो गई।
2001-2011 के दशक में सामान्य परिवारों में निःशक्तजनों की संख्या बढ़कर 48,19,382, संस्थागत परिवारों में संख्या बढ़कर 65,895 तथा आवासहीन परिवारों में निःशक्तजनों की संख्या 22,948 हो गई।