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कृषि के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग और गुजरात विश्वविद्यालय ने आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए

देश-विदेश

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार की उपस्थिति में आज नीति आयोग और गुजरात विश्वविद्यालय के बीच एक आशय पत्र (एसओआई) पर हस्ताक्षर किए गए। नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. नीलम पटेल और गुजरात विश्वविद्यालय के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबिलिटी संस्थान के निदेशक श्री सुधांशु जंगीर ने अपने-अपने संस्थानों की ओर से आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम के दौरान डॉ. राजीव कुमार द्वारा कृषि उद्यमिता और मूल्य श्रृंखला प्रबंधन में एमबीए पाठ्यक्रम भी शुरू किया गया।

यह आशय पत्र भारत में ज्ञान-साझाकरण और नीति विकास को मजबूत करने के लिए दो संस्थानों के बीच तकनीकी सहयोग पर केन्द्रित है। इसका उद्देश्य कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है। इससे सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत के प्रयासों पर जोर देने की उम्मीद है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन के वास्तविक जोखिमों को ध्‍यान में रखते हुए छोटी रणनीतियों के विकास की आवश्यकता है। इस संबंध में कृषि और संबद्ध मूल्य श्रृंखला की महत्वपूर्ण भूमिका है। जबकि सरकार ऐसी रणनीतियों को हर संभव समर्थन देगी, निजी क्षेत्र के विकास और जलवायु-स्मार्ट समाधानों को अपनाने के बिना हमारे लक्ष्यों के पूरा होने की संभावना नहीं है। अर्थव्यवस्था में नए व्यापार मॉडल और समाधान विकसित करने की आवश्यकता है। हम गुजरात विश्‍वविद्यालय और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबिलिटी (आईआईएस) के साथ साझेदारी का स्वागत करते हैं और संयुक्त अध्ययन, अनुसंधान और अध्ययन पाठ्यक्रमों, नीति निर्धारण, विश्लेषण और समर्थन तथा एसडीजी के कार्यान्वयन में आपसी सहयोग की आशा करते हैं। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबिलिटी ने नीति आयोग के सहयोग से कृषि उद्यमिता और प्राकृतिक खेती केन्‍द्र खोलने का भी प्रस्ताव रखा है। हमारी ओर से नीति आयोग, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबिलिटी को कृषि उद्यमियों के साथ सहयोग और नीति निर्माण के लिए जोखिम सहित सभी संभव तकनीकी विशेषज्ञता पर आधारित सलाह प्रदान करेगा।”

विभिन्‍न पक्ष कृषि क्षेत्र के विकास, कृषि उद्यमिता, प्राकृतिक खेती, जलवायु परिवर्तन आदि पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करेंगे। दोनों संस्थान कृषि मूल्य श्रृंखला प्रबंधन, विपणन विधियों, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की सर्वोत्तम प्रथाओं, जलवायु परिवर्तन और अन्य पहचाने गए क्षेत्रों में नीति निर्माण में प्रमाण के सृजन और सुधार के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए गतिविधियां भी आयोजित करेंगे।

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबिलिटी द्वारा पेश किया गया कृषि उद्यमिता और मूल्य श्रृंखला प्रबंधन में एमबीए पाठ्यक्रम एक विशिष्ट रूप से डिजाइन किया गया पाठ्यक्रम है, जो कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में छात्रों को वैश्विक अनुभव प्रदान करेगा। यह कार्यक्रम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है और कृषि क्षेत्र में उद्यमियों और मूल्य श्रृंखला पेशेवरों को शामिल करने का प्रयास करता है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा, “कृषि उद्यमिता और मूल्य श्रृंखला प्रबंधन में आईआईएस का एमबीए कृषि व्यवसाय के अगुओं, कृषि उद्यमियों और मूल्य श्रृंखला विशेषज्ञों को आवश्यक कौशल, ज्ञान, जोखिम और दृष्टिकोण के साथ सशक्त बनाएगा। यह कृषि व्यवसाय, कृषि आधारित उद्यमों, ग्रामीण और संबद्ध क्षेत्रों की समझ को बढ़ावा देगा। यह गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा एक उत्कृष्ट पहल है। प्राकृतिक खेती के लिए एक उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए पाठ्यक्रम की बहुत आवश्यकता है। हम इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबिलिटी और गुजरात विश्वविद्यालय को पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हैं।”

गुजरात के शिक्षा मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा ने कहा, “गुजरात शिक्षा और कृषि के क्षेत्र में सबसे आगे रहा है। वैश्वीकरण, नीति सुधार और उपभोक्ता जागरूकता ने भारतीय कृषि में संरचनात्मक परिवर्तन लाए हैं। कृषि उद्यमियों और मूल्य-श्रृंखला प्रबंधन पेशेवरों की महत्वपूर्ण मांग है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सस्टेनेबिलिटी का एमबीए पाठ्यक्रम छात्रों के लिए व्यापक अवसर पैदा करेगा और कृषि-खाद्य उद्योग और ग्रामीण विकास की सेवा के लिए उद्यमशीलता की भावना का पोषण करेगा। हम नीति आयोग के साथ साझेदारी का स्वागत करते हैं, जो भारतीय कृषि में नए मार्ग खोलेगा।’’

इस कार्यक्रम में गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. हिमांशु पंड्या और प्रति कुलपति डॉ. जगदीश भावसार और जीयूएसईसी के सीईओ श्री राहुल भागचंदानी सहित विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।

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