नई दिल्ली: नीति आयोग ने आज देश में सुधारों और विकास के संचालन के लिए 29 चुनिंदा वैश्विक सूचकांकों के प्रदर्शन की निगरानी करने के भारत सरकार के निर्णय को लेकर कैबिनेट सचिव श्री राजीव गौबा की अध्यक्षता में 47 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के साथ एक वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया। स्टेकहोल्डर परामर्श की पद्धति; प्रकाशन और सर्वेक्षण/डेटा एजेंसियों के साथ जुड़ाव; राज्य रैंकिंग के लिए रूपरेखा, सूचना साझा करने के लिए मंच; और कार्यशाला में निगरानी तंत्र पर चर्चा की गई।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कैबिनेट सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि निगरानी अभ्यास केवल रैंकिंग में सुधार करने के लिए नहीं है, बल्कि निवेश को आकर्षित करने और विश्व स्तर पर भारत की धारणा को आकार देने के लिए सिस्टम में सुधार और सुधार लाने के लिए है। उन्होंने इस निगरानी अभ्यास को भारत के नागरिक सेवा वितरण ढांचे में परिवर्तनकारी सुधार के लिए एक मुख्य कारक भी बताया।
नीति आयोग के सीईओ ने इन वैश्विक सूचकांकों निगरानी के संबंध में नीति आयोग, एनआईसी, डीपीआईआईटी, एमओएसपीआई और अन्य मंत्रालयों की पृष्टभूमि के बारे में बताया। उन्होंने सूचकांकों के प्रदर्शन में सुधार के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, प्रकाशन एजेंसियों और सिविल सोसायटी संगठनों के बीच करीबी और नियमित समन्वय की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
यह लंबे समय से महसूस किया जा रहा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त इंडिक्स के माध्यम से विभिन्न महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और अन्य मापदंडों पर भारत के प्रदर्शन को मापने और निगरानी करने की आवश्यकता है। इसका लक्ष्य इन सूचकांकों का उपयोग स्व-सुधार के लिए उपकरण के रूप में इस्तेमाल करना और सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में सुधार करते हुए नीतियों में सुधार लाना है। इसके साथ ही, भारत की एक सटीक छवि दुनिया के सामने पेश करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर सुधार और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत का सुधार (2020 रिपोर्ट में भारत 63वें स्थान पर पहुंच गया है) को इस प्रक्रिया को चलाने के लिए सही प्रारूप माना गया है।
इस दौरान 19 अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा प्रकाशित 29 वैश्विक सूचकांक, भारत सरकार के 18 नोडल मंत्रालयों और विभागों को सौंपा गया है।
नीति आयोग इन सभी सूचकांकों के प्रदर्शन और प्रगति की निगरानी करने और प्रकाशन एजेंसियों के साथ उनके बीच मजबूत सहयोग बनाने में मदद करेगा। संबंधित मंत्रालय/विभाग चिह्नित प्रमुख मापदंडों की निगरानी करेंगे और सुधार और प्रगति सुनिश्चित करेंगे। मंत्रालय/विभाग सटीक और प्रतिनिधि रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए डेटा प्रकाशन एजेंसियों के साथ भी समन्वय स्थापित करेंगे। इस काम करने और इसकी निगरानी करने के लिए अधिकांश मंत्रालयों में इंडेक्स मॉनिटरिंग सेल पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। इस गतिविधि के लिए केंद्र सरकार, राज्यों और सिविल सोसायटी संगठनों के बीच घनिष्ठ समन्वय की आवश्यकता होगी।
सभी 29 ग्लोबल इंडिक्स के लिए एक एकल, सूचनात्मक डैशबोर्ड तैयार किया जा रहा है। डैशबोर्ड आधिकारिक डेटा और प्रकाशन एजेंसियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले डेटा स्रोत के अनुसार मापदंडों की निगरानी के लिए अनुमति देगा। यह सुधारों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन की निगरानी की सुविधा भी मुहैया कराएगा।
अपने समापन भाषण में, कैबिनेट सचिव ने देश की सटीक तस्वीर पेश करने के लिए प्रकाशन एजेंसियों के साथ नियमित रूप से जुड़ाव की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस संबंध में उदाहरण के रूप में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में सुधार पर प्रकाश डाला। उन्होंने पूरी प्रक्रिया को गति देने के लिए सभी नोडल मंत्रालयों में पीएमयू स्थापित करने की भी बात कही।