नीति आयोग 10 मार्च, 2021 को भारत दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) का तीसरा संस्करण जारी करेगाI पहली बार दिसम्बर 2018 में यह सूचकांक शुरू किया गया थाI यह अब देश में दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों की प्रगति की निगरानी करने का एक प्राथमिक साधन है और इसने केंद्र और राज्यों के बीच विकास की प्रतिस्पर्धा को आगे बढाया है I नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार को इसे जारी करेंगेI इस अवसर पर उनके साथ नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कान्त, राष्ट्र संघ की रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर सुश्री रेनेटा लोक-देसिलियाँ और भारत में यूएनडीपी की रेजिडेंट रिप्रेजेंटेटिव सुश्री शोको नोडा भी उपस्थित रहेंगी। नीति आयोग द्वारा प्रतिपादित एवं विकसित इस सूचकांक को इसके निर्माण की प्रक्रिया में शामिल मूल हितधारकों में केंद्र और राज्य सरकारें, भारत में संयुक्त राष्ट्र की कार्यरत संस्थाएं,सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और अन्य प्रमुख मंत्रालय शामिल हैंI
एसडीजी भारत सूचकांक और डैशबोर्ड 2020-21 : सक्रियता के दशक में भागीदारी
यह सूचकांक वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अब तक राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर हुई प्रगति का मुल्यांकन करता है और यह स्थायित्व, दृढ़ता और सहयोग के संदेश को आगे बढाने में सफल रहा हैI 2030 तक के लिए निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अब तक एक तिहाई यात्रा कर चुके इन प्रयासों के बाद सूचकांक की यह रिपोर्ट सहभागिता के महत्व पर केन्द्रित है और इसका शीर्षक है: ‘’एसडीजी भारत सूचकांक और डैशबोर्ड 2020-21 : सक्रियता के दशक में भागीदारीI’’
हर नए संस्करण में कार्य निष्पादन में उत्कृष्टता के स्तर का निर्धारण करने और अब तक हुई प्रगति का आकलन करने के अलावा केंद्र और राज्यों से मिले आंकड़ों को अद्यतन रखने का प्रयास किया जाता है. वर्ष 2018-19 में जाई पहले संस्करण में 13, उद्देश्यों, 39 लक्ष्यों और 62 सूचकों का विवरण था, जबकि दुसरे संस्करण में 17 उद्देश्य, 54 लक्ष्य और 100 सूचक थे। तीसरे संस्करण में 17 उद्धेश्य, 70 लक्ष्य और 115 सूचक हैं।
सूचकांक का निर्माण और इसके लिए प्रयुक्त होने वाली कार्यप्रणाली एसडीजी पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कार्य निष्पादन का आकलन करने के साथ ही उनकी योग्यता क्रम के निर्धारण करने के केंद्रीय उद्देश्यों को मूर्त रूप देती है; ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने में और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता देने और उनके बीच स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। सूचकांक अनुमान 17वें लक्ष्य के लिए गुणात्मक मूल्यांकन के साथ पहले 16 लक्ष्यों के लिए आंकड़ों पर आधारित है । लक्ष्य निर्धारण की तकनीकी प्रक्रिया और स्कोर के सामान्यीकरण विश्व स्तर पर स्थापित कार्यप्रणाली का पालन करते हैं। जहाँ लक्ष्य निर्धारण प्रत्येक संकेतक के लिए लक्ष्य के अंतर को नापने में सक्षम बनाता है , वहीँ सकारात्मक और नकारात्मक संकेतकों के सामान्यीकरण की प्रक्रिया राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए लक्ष्यवार स्कोर की तुलनीयता और आकलन की अनुमति देती है। एक राज्य का समग्र स्कोर 2030 एजेंडा की अविभाज्य प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक लक्ष्य को एक ही वजन प्रदान करके प्राप्त किया जाता है।
संकेतकों के चयन से पहले सांख्यिकी कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हितधारकों के साथ बीच आपसी तालमेल के बाद परस्पर विचार विमर्श होता है। चयन प्रक्रिया संकेतकों की मसौदा सूची पर मिली टिप्पणियों और सुझावों को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा जाता है। इस स्थानीयकरण साधन के अनिवार्य हितधारक एवं अंग रूप में, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने स्थानीयकरण की समझ और जमीनी अनुभव के साथ मिली प्रतिक्रियाओं का समावेश करने के साथ ही इस सूचकांक को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप यह सूचकांक 2030 एजेंडा के तहत वैश्विक प्राथमिकताओं की व्यापक प्रकृति की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। सूचकांक का मॉड्यूलर स्वभाव स्वास्थ्य और शिक्षा, लिंग, आर्थिक विकास, संस्थानों, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण सहित लक्ष्यों की व्यापक प्रकृति पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की प्रगति के लिए एक नीतिगत साधन और दिग्दर्शक बन गया है। भारत के दीर्घकालिक विकास लक्ष्य में आवश्यक निवेश के लिए राज्यों द्वारा 15वें वित्त आयोग को अपनी आवश्कताएं बताए जाने के साथ ही यह सूचकांक अनेक दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों और भविष्य की संकल्पनाओं और योजनाओं के अतिरिक्त राज्य और जिला संकेतक रूपरेखा के विकास को प्रोत्साहित करके विभिन्न संस्थाओं की कार्यप्रणालियों की समीक्षा करते हुए में राष्ट्रीय स्तर पर दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को प्राप्ति में भी सफल रहा है।
नीति आयोग को राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को अपनाने और उनकी निगरानी के लिए आपसी तालमेल करने का अधिकार है। एसडीजी भारत सूचकांक और डैशबोर्ड 2020-21 नीति आयोग के प्रयासों का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मूर्त रूप देने और एसडीजी के तहत प्रगति की निगरानी में सुधार लाने की दिशा में निरंतर प्रयास करता रहता है।