नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज वेबकास्ट के माध्यम से नई दिल्ली में बुनियादी ढांचे पर समूह की एक बैठक की अध्यक्षता की। केंद्रीय रेल तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, सूचना एवं प्रसारण तथा भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर तथा केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने बैठक में भाग लिया। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, रेल, बिजली, पर्यावरण एवं वन मंत्रालयों, रेल बोर्ड, एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों तथा महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भी बैठक में भाग लिया।
बैठक में लंबित बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के समाधान के संबंध में कई मुद्दों पर विचार किया गया। बैठक में उठाया गया एक प्रमुख मुद्दा 187 राजमार्ग परियोजनाओं की बकाया वन मंजूरी से संबंधित था। यह भी नोट किया गया कि कई परियोजनाओं ने दूसरे चरण की वन मंजूरी के लिए आवेदन नहीं किया है। संबंधित अधिकारियों को तत्काल इसकी प्रक्रिया आरंभ करने का निर्देश दिया गया।
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर लेवल क्रॉसिंगों को हटाये जाने की आवश्यकता है क्योंकि वे दुर्घटनाओं के बड़े स्थान बन गये हैं। यह भी बताया गया कि जहां 167 स्थानों पर उनकी डिजाइन को स्वीकृति दे दी गई है लेकिन अभी तक वहां कार्य आरंभ नहीं हुआ है। इस संबंध में पांच वर्ष पहले ही समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और निष्पादन में तेजी लाने की आवश्यकता है। इस दिशा में, मासिक आधार पर सेतुभारतम प्रोग्राम के तहत परियोजनाओं की निगरानी करने की आवश्यकता है। यह भी रेखांकित किया गया कि रेलवे के पास 30 सड़क परियोजनाएं लंबित पड़ी हैं। तथापि, रेल मंत्री ने दस दिन के भीतर इनका समाधान करने का आश्वासन दिया।
बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के सामने एक बड़ा मुद्दा पेड़ों की कटाई का है। तथापि, वन आच्छादन में कुछ खास प्रकार की प्रजातियों के छोटे पेड़ एवं पौधे शामिल करने को लेकर मतभेद है। उदाहरण के रूप में बैठक में बबूल या कीकर का उदाहरण प्रस्तुत किया गया। इसके एक विदेशी अरबी झाड़ी होने के कारण पेड़ों की परिभाषा में इसे शामिल किया जाना कई वन मंजूरियों पर विचार करने के दौरान समस्याएं पैदा कर रहा है। दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी में एक महत्वाकांक्षी परियोजना द्वारका एक्सप्रेसवे भी ऐसी ही समस्या का सामना कर रही है जहां कुल 6364 पेड़ों में से 1939 बबूल की झाड़ियां हैं। बताया गया कि महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य इस झाड़ी को भूमि राजस्व कोड में पेड़ के रूप में कवर नहीं करते हैं।
श्री नितिन गडकरी ने विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों के बीच बैठकों द्वारा बकाया मुद्दों पर प्रगति को लेकर संतोष जताया। उन्होंने कहा, वह हमेशा महसूस करते हैं कि लिखित रूप से पत्राचार करने पर समय एवं ऊर्जा नष्ट करने से बेहतर है कि हमेशा एकजुट होकर बैठें और एक दूसरे के सामने मुद्दों का समाधान करें। उन्होंने निर्देश दिया कि अबसे रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, वन महानिदेशक और सड़क महानिदेशक के बीच एक संयुक्त बैठक हुआ करेगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महीने एक बैठक करने से कई सारे मुद्दों का समाधान हो जाएगा।
पर्यावरण मंत्री श्री जावडेकर से आग्रह किया गया कि वे राज्यों में नियुक्त वन अधिकारियों को निर्देश दें कि वे पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एवं सीसी द्वारा जारी परिपत्रों तथा आदेशों का अनुपालन करें और उन्हें कार्यान्वित करें।
वन मुद्दों पर विशेष उच्चाधिकार प्राप्त समिति का संचालन किया जा सकता है जैसा कि झारखंड, महाराष्ट्र एवं अरुणचल प्रदेश में किया जा रहा है। ऐसा महसूस किया गया कि यह कदम बुनियादी ढांचागत परियोजनाओें के मार्ग में आने वाली कई बाधाओं को दूर कर देगा जिससे समय और पैसे दोनों की ही बचत होगी।
श्री पीयूष गोयल ने इस बैठक के विचार की सराहना की और कहा कि श्री गडकरी जी की यह एक अच्छी पहल है। उन्होंने कहा कि सामने आने वाले मुद्दों के समाधान के लिए सभी हितधारकों के एक साथ बैठने के इस प्रयोग से उन्हें भी बहुत कुछ सीखने को मिला है। उन्होंने श्री नितिन गडकरी से आग्रह किया कि वह नागरिकों के प्रयोजन में सुधार लाने के लिए संबंधित कदमों पर बुनियादी ढांचे से संबंधी समूह को दिशा-निर्देश दें। उन्होंने कहा कि आदर्श तरीका यह है कि रेल और राजमार्ग परियोजनाओं को एक दूसरे के समानांतर संचालित होना चाहिए। तथापि, अनुपातों में अंतर होने के कारण कभी-कभार वे एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। लेकिन एक साथ मिलकर ये दोनों निकाय कई परियोजनाओं का निर्माण कर सकते है।
जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने कहा कि बैठक सार्थक रही। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचागत क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इसकी गति अन्य क्षेत्रों की गति का निर्धारण करती है। उन्होंने बुनियादी ढांचागत क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों को उनकी प्रक्रियाओं में सुधार लाने को कहा जिससे कि परियोजनाओं की गति में तेजी लाई जा सके। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि रेलवे और राजमार्ग क्षेत्रों को लागत में कमी लाने तथा उपयोगिता में बढ़ोतरी करने के लिए संयुक्त परियोजनाओं का निर्माण करना चाहिए।