नई दिल्ली: जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री श्री नितिन गडकरी ने गंगा नदी में ‘चयनित जलीय प्रजातियों की संरक्षण स्थिति’ पर नई दिल्ली में रिपोर्ट जारी की। उन्होंने विश्व वन्यजीव कोष द्वारा आयोजित ‘गंगा और इसकी जैव-विविधताः आवास एवं प्रजाति संरक्षण के लिए रोडमैप विकास’ थीम पर एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन भी किया। श्री गडकरी ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) द्वारा तैयार किया गया स्व-प्रेरित गंगा प्रहरियों का एक डेटाबेस भी जारी किया।
श्री गडकरी ने मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए एकीकृत दृष्टिकोण और विकास एवं पारिस्थितिकी में सामंजस्य के जरिए गंगा नदी की सफाई करने की चुनौती को स्वीकार करने की जरूरत पर जोर दिया। बांस से कागज बनाने जैसे सफल उदाहरण की चर्चा करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि ऐसी गतिविधियों से गंगा तट के इलाकों में न सिर्फ रोजगार का सृजन होगा, बल्कि गंगा नदी की जैव-विविधता के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय समुदायों को प्रोत्साहित भी करेगा, इनमें से कुछ गंगा प्रहरी और गंगा मित्र के रूप में स्वच्छ गंगा मिशन के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग नदी तटों पर वृक्षारोपण, नौका विहार, मुक्तिधाम एवं घाटों के निर्माण जैसी गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं। इससे रोजगार सृजन के अवसर बढ़ेंगे और गंगा की सफाई को लेकर स्थानीय लोगों में जन-भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा।
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय में सचिव श्री यू.पी. सिंह ने कहा कि गंगा में अब भी लगभग दो हजार जलीय प्रजातियां हैं और जन-भागीदारी की मदद से गंगा की जैव-विविधता को फिर से पाने का कठिन कार्य पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा नदी की अविरलता और निर्मलता अहम है और सरकार इन दोनों लक्ष्यों को पाने के लिए प्रतिबद्ध है।
स्वच्छ गंगा का राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने स्वैच्छिक मदद के लिए गंगा प्रहरियों और गंगा मित्रों को धन्यवाद देते हुए उम्मीद जताई कि अभी करीब चार सौ की इनकी संख्या बढ़कर हजारों और लाखों में हो जाएगी और स्वच्छ गंगा मिशन एक जन-आंदोलन बन जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि आज की कार्यशाला में विशेषज्ञों से बातचीत के दौरान कुछ बहुमूल्य सुझाव और सिफारिशें सामने आएंगी, जो नीतियां बनाने में काफी मददगार साबित होंगी।
स्व-प्रेरित स्वयंसेवकों के कैडर गंगा प्रहरियों को प्रशिक्षित किया गया है और एनएमसीजी और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने उन्हें स्वच्छ गंगा मिशन को एक जन-आंदोलन बनाने के काम में लगा दिया है। इस परियोजना में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के गंगा बेसिन में अब तक 427 गंगा प्रहरी लगाए गए हैं।
श्री गडकरी द्वारा ‘चयनित जलीय प्रजातियों की संरक्षण स्थिति’ पर जारी की गई अपनी तरह की पहली रिपोर्ट गंगा नदी के चयनित प्रजातियों की स्थिति और इस बारे में उपलब्ध साहित्य एवं नदी की जैव-विविधता के आकलन से तैयार आंकड़ों से मिली जानकारियों का समन्वय पेश करती है। श्री गडकरी ने ‘गंगा जैव-विविधता – एक नजर’ पर एक प्रकाशन जारी किया, जिसमें जलीय प्रजातियों का पूर्ण विवरण है।