नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग और सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी ने संयुक्त रा्ष्ट्र द्वारा 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए ‘यूएन डिकेड ऑफ एक्शन’ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया है। स्टॉकहोम में ‘वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सड़क सुरक्षा पर तीसरे उच्च स्तरीय वैश्विक सम्मेलन 2030’ में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने कहा कि भारत विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रहा है जो सड़क सुरक्षा के लिए विभिन्न संस्थानों की क्षमताओं को मजबूती प्रदान करने के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए और हमारे इंजीनियरिंग डिजाइनों को बेहतर बनाने में हमारी सहायता कर रहे हैं।
श्री गडकरी ने कहा कि सरकार परिवहन क्षेत्र में सुरक्षा, दक्षता और स्थिरता के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। केवल एक ‘सुरक्षित प्रणाली वाला दृष्टिकोण’ ही लंबे समय तक के लिए व्यावहारिक हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाया गया यह दृष्टिकोण भारत जैसे देशों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां पर सुरक्षा की समस्या सामाजिक समानता के साथ भी जुड़ी हुई है।सड़कों पर बड़ी संख्या में पैदल चलने वालों, साइकिल चालकों और दोपहिया मोटर वाहनों की बड़ी आबादी जगह प्राप्त करने के लिए मशक्कत करती हैं, इन कमजोर वर्गों के लिए सड़क सुरक्षा की जरूरतों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
श्री गडकरी ने कहा कि वर्तमान में भारत में 200 मिलियन से ज्यादा वाहन हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाएं देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का कारण हैं, अकेले वर्ष2018 में 4,67,044 सड़क दुर्घटनाओं में 1,51,417 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं के कारण हुईं। जब इसकी गणना आर्थिक रूप से की जाती है, तो ऐसा अनुमान है कि इसके कारण हमारी जीडीपी पर प्रतिवर्ष 2-3% का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सड़क दुर्घटनाओं का न केवल आर्थिक प्रभाव पड़ता है, बल्कि ऐसी दुर्घटनाओं में शामिल लोगों और उनके परिवारों के लिए भी इसका गंभीर प्रभाव होता हैं, जो इस घटना के कारण गंभीर रूप से शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आघात को झेलते हैं।
श्री गडकरी ने कहा भारत द्वारा आम नागरिकों के बीच सड़क सुरक्षा पर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न जागरुकता उपायों को अपनाया जा रहा है, गैर सरकारी संगठनों की सहायता- गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से भी इन अभियानों का लाभ उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नेक लोगों (मुसीबत में मदद करने वाले) को भी सक्रिय रूप से आगे बढ़कर आने के लिए और सड़क दुर्घटना में पीड़ितों को सहायता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
श्री गडकरी ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत में सड़क परिवहन क्षेत्र का विकास, भारतीय अर्थव्यवस्था द्वारा उठाए गए तीव्र प्रगति का पर्याय रहा है। भारत में लगभग 6 मिलियन किलोमीटर सड़को का नेटवर्क है जो कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। केंद्र सरकार द्वारा देश में सड़कों का विकास और उन्नयन करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की शुरूआत की गई है, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के लिए। पिछले वर्षों में, एनएच के निर्माण की गति में प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है; इसका निर्माण 2013-14 में 11 किमी प्रति दिन से बढ़कर 2016-17 में 22.5 किलोमीटर प्रति दिन हो गया। वर्ष 2017-18 में यह 27 किमी प्रति दिन था और पिछले वर्ष इसने औसत 30 किलोमीटर प्रतिदिन के निर्माण का आंकड़ा पार कर लिया। वर्तमान वर्ष 2019-2020 में एनएच के निर्माण का लक्ष्य 11,000 किलोमीटर है।
श्री नितिन गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय वाहन चालन प्रशिक्षण को मजबूत करने के लिए राज्यों और वाहन निर्माताओं के सहयोग से काम कर रहा है। वाहन चालन प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय वाहन चालन प्रशिक्षण केंद्र और वाहन चालन प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई है जो कलात्मक बुनियादी ढांचे के के साथ मॉडल वाहन चालन प्रशिक्षण केंद्रों के रूप में काम करते हैं।
प्रशिक्षण सुविधा के निर्माण और रिफ्रेशमेंट का समर्थन करने के लिए- जिला स्तर पर भारी वाणिज्यिक वाहन चालकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, देश के सभी जिलों में वाहन चालन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की एक नई योजना की शुरूआत की गई है। देश के प्रत्येक राज्य में, वाहनों की स्वचालित फिटनेस जांच के लिए निरीक्षण और प्रमाणन का एक मॉडल केंद्र स्थापित किया गया है।
श्री गडकरी ने कहा कि देश में सड़क परिवहन को नियंत्रित करने वाला प्रमुख साधन, मोटर वाहन अधिनियम में तीस वर्षों के बाद पहली बार व्यापक तरीके से संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का भरोसा है कि यह अधिनियम सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सड़क सुरक्षा, नागरिक सुविधा, पारदर्शिता और दक्षता से लेकर कई सुधारों को करने में नेतृत्व प्रदान करेगा। मंत्री ने उम्मीद जताया कि यह सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करेगा, अच्छे समेरिटनों का बचाव और रक्षा करेगा और बीमा और मुआवजा व्यवस्था में सुधार लाएगा।
गडकरी ने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी के माध्यम से स्वचालित प्रणाली समाधानों की ओर बढ़ रहा है और अपने वर्तमान लाइसेंसिंग और फिटनेस प्रमाणपत्र व्यवस्था में कम से कम मानवीय इंटरफ़ेस रखता है। उन्होंने कहा कि भारत एकीकृत सड़क दुर्घटना डाटाबेस (आईआरएडी) के अंतर्गत सड़क दुर्घटना वाली जगहों का डाटाबेस विकसित कर रहा है: ऐसी परियोजना जिसका प्राथमिक उद्देश्य घटना के वास्तविक स्थल पर दुर्घटना का डेटा एकत्रित करना है। दुर्घटना स्थल की जियो-टैगिंग से उस जगह का सटीक रिकॉर्डिंग और विश्लेषण सुनिश्चित किया जाएगा और उसके माध्यम से मिले आंकड़ों का उपयोग अपेक्षित सुधारात्मक उपायों की शुरूआत करने के लिए किया जाएगा।