नई दिल्ली: जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण, नौवहन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कल उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत जारी प्रत्येक परियोजना की विस्तृत समीक्षा की। समीक्षा बैठक में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण, नौवहन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सचिव श्री यू. पी. सिंह, राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता अभियान (एनएमसीजी) के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्र, एनएमसीजी के अधिकारी और संबंधित राज्य सरकारों के अधिकारी उपस्थित थे। शीघ्र ही उत्तर प्रदेश की मौजूदा परियोजनाओं की भी समीक्षा होगी।
श्री गडकरी ने सभी हितधारकों को निर्देश दिया कि परियोजनाओं को जल्द पूरा करें और जहां भी कोई बाधा हो तो उसके समाधान के लिए सकारात्मक कदम उठायें। उन्होंने कहा कि कार्य को युद्ध-स्तर पर किया जा रहा है और नमामि गंगे कार्यक्रम बहुत सफल होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि नदी में जल का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए ‘अविरल गंगा’ के लिए भी अधिसूचना जारी की गयी है। एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है और घर की नालियों को सीवर लाईनों से जोड़ा जा रहा है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर जल की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण बदलाव आयेगा। घाटों और शवदाहगृहों का निर्माण किया जा रहा है, जो मार्च 2019 तक पूरा हो जाएगा।
श्री गडकरी ने कहा कि कुछ परियोजनाएं पूरी हो गयी हैं, कुछ प्रगति पर हैं और कुछ परियोजनाओं के लिए निविदाएं जारी की गयी हैं। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि हम मार्च 2019 तक नमामि गंगे कार्यक्रम के कार्य को 70-80 प्रतिशत तक पूरा कर पाएंगे।
राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता अभियान के तहत उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में गंगा नदी पर 288 से अधिक परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं। इन परियोजनाओं में मलजल उपचार सुविधा, घाटों और शवदाहगृहों का विकास, वनरोपण, नदी की सतह की सफाई और नदी के आसपास विकास करना शामिल है। हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा की कुछ सहायक नदियों के लिए परियोजनाएं भी मंजूर की गयी हैं। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण, नौवहन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सभी परियोजनाओं का शीघ्र समापन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इनकी सावधिक समीक्षा करता है। परियोजनाओं की समीक्षा का राज्यवार विवरण निम्नानुसार है:
उत्तराखंड
राज्य में 32 मलजल उपचार सुविधा परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है, जिसमें हरिद्वार (4 परियोजनाएं), मुनि की रेती, तपोवन, ऋषिकेश (2 परियोजनाएं), देवप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, गंगोत्री, कीर्तिनगर, श्रीनगर, रूद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली-गोपेश्वर, जोशीमठ, बद्रीनाथ और देहरादून की परियोजनाएं शामिल हैं। इनमें से 15 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, 16 परियोजनाएं प्रगति के विभिन्न चरणों में हैं और एक परियोजना के लिए निविदा प्रक्रिया चल रही है। चंडी घाट में नदी के आसपास के विकास की परियोजना (रिवर फ्रंट डवलपमेंट) सहित 22 घाटों और 22 शवदाहगृहों को मंजूरी दी गयी है। इन परियोजनाओं में से 10 घाटों और 9 शवदाहगृहों का काम पूरा हो गया है और अन्य परियोजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है।
झारखंड
राज्य में साहिबगंज और राजमहल में दो मलजल उपचार सुविधा परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं। दोनों परियोजनाओं का काम प्रगति पर है।
इसके तहत 12 घाटों और दो शवदाहगृहों को भी मंजूरी दी गयी है। इनमें से तीन घाटों और एक शवदाहगृह का काम पूरा हो गया है।
बिहार
राज्य में 31 मलजल उपचार सुविधा परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं। इनमें से 11 परियोजनाएं पटना के बेऊर, सैदपुर, कर्मालीचक, कंकडबाग, दीघा और पहाडी में हैं। ऐसी अन्य परियोजनाऐं बक्सर, नौगछिया, बाढ़, सुल्तानगंज, मोकामा, हाजीपुर, बेगूसराय, भागलपुर, सोनपुर और मुंगेर के लिए मंजूर की गयी हैं। बिहार में 13 एसटीपी प्रगति के विभिन्न चरणों में हैं, चार परियोजनाओं के लिए निविदाएं प्राप्त की गयी हैं और उसका मूल्यांकन किया जा रहा है, जबकि 3 परियोजनाएं निविदा प्रक्रिया के तहत हैं और एक परियोजना के लिए निविदा जारी होना बाकी है।
पटना में नदी के आसपास विकास (आरएफडी) की एक परियोजना, 14 घाटों और एक शवदाहगृह को मंजूरी दी गयी है, जो निर्माणाधीन हैं।
पश्चिम बंगाल
राज्य में गायेशपुर, कल्याणी, भाटपारा, हलीशहर, बैरकपुर, बज-बज, नवाद्वीप, बेहरामपुर, जंगीपुर, हावडा, बल्ली, कमरहाटी, बारानगर, कोलकाता (टोली नुल्लाह, गार्डन रिच) महेशतला, हुगली-चिनसुराह में 16 मलजल उपचार परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं। इनमें से गायेशपुर, कल्याणी, भाटपारा में परियोजनाओं का काम पूरा हो गया है और हलीशहर, बैरकपुर, बज-बज में परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा 3 परियोजनाओं के लिए निविदाएं प्राप्त करके उनका मूल्याकंन किया जा रहा है, जबकि 5 परियोजनाऐं निविदा प्रक्रिया के दौर में हैं और 2 परियोजनाओं के लिए निविदा जारी होना बाकी है।
राज्य में मलजल उपचार परियोजनाओं के अलावा 9 घाटों और 3 शवदाहगृहों के लिए परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं, जो फिलहाल निर्माणाधीन हैं।