मुंबई: हिन्दुस्तान के सबसे प्रतिभावान तथा सम्मानित अभिनेताओं में से एक ओम पुरी का 66 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाज़े जा चुके ओम पुरी का निधन शुक्रवार सुबह मुंबई स्थित उनके आवास में हुआ.
यह जानकारी उनकी दोस्त और अभिनेत्री शबाना आजमी ने ट्विटर पर दी :
OM Puri undergoing postmortem at Cooper Hospital.Will be taken to Trishul around 3pm Funeral at Oshiwara electric crematorium around 6pm
— Azmi Shabana (@AzmiShabana) January 6, 2017
Om Puri! You have left us all too early.. i am so so sorry..The fun the laughter the arguments so vividly etched in my mind..Will miss you
— Azmi Shabana (@AzmiShabana) January 6, 2017
उनकी अकस्मात मृत्यु से फिल्म जगत ही नहीं, पूरा देश सदमे में हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उनके निधन पर ट्विटर पर दुख जताया.
The Prime Minister condoles the passing away of actor Om Puri & recalls his long career in theatre & films.
— PMO India (@PMOIndia) January 6, 2017
साधारण शक्ल-सूरत वाले असाधारण अभिनेता ने न सिर्फ बहुत-सी पुरस्कार-विजेता हिन्दी फिल्मों को अपने अभिनय से सजाया, बल्कि अनेक विदेशी फिल्मों में भी अपने काम का लोहा मनवाया. वर्ष 1976 में विजय तेंदुलकर के नाटक ‘घासीराम कोतवाल’ पर इसी नाम से बनी मराठी फिल्म से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले ओम पुरी ’80 के दशक में ‘अर्द्धसत्य’, ‘आक्रोश’, ‘पार’ जैसी कला फिल्मों में काम करने के बाद दुनिया की नज़रों में आए. फिर अपने जीवंत अभिनय से धीरे-धीरे वह मुख्यधारा की फिल्मों में भी छाने लगे, और उन्होंने ‘जाने भी दो यारों’ और ‘माचिस’ जैसी फिल्मों भी अदाकारी के जौहर दिखाए.
हरियाणा के अंबाला में एक रेलवे अधिकारी के घर वर्ष 1950 में जन्मे ओम पुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट में भी अध्ययन किया, और वह दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के वर्ष 1973 बैच के सदस्य भी थे, जहां नसीरुद्दीन शाह उनके सहपाठी थे.
उस समय जारी कला फिल्मों के दौर में सबसे मजबूत अभिनेता कहे जाने वाले नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी और स्मिता पाटिल जैसे धुरंधर अभिनेताओं के साथ उन्होंने कई फिल्में कीं, जिनमें उन्हें भुलाया नहीं जा सकता. भवई (1980), सद्गति (1981), अर्द्धसत्य (1982), मिर्च मसाला (1986) तथा धारावी (1992) इन अभिनेताओं की कुछ यादगार फिल्में हैं.
ओम पुरी ने वर्ष 1982 में आई रिचर्ड एटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ में भी एक छोटी-सी भूमिका अदा की थी, लेकिन वर्ष 1990 के दशक में लोकप्रिय हिन्दी सिनेमा का हिस्सा बनने वाले ओम पुरी ने बहुत-सी ब्रिटिश, हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया, और वह विदेशों में सबसे ज़्यादा जाने-पहचाने भारतीय अभिनेताओं में शुमार किए जाते हैं.
उन्होंने हॉलीवुड में पैट्रिक स्वेज़ी के साथ ‘सिटी ऑफ जॉय’ (1992), जैक निकलसन के साथ ‘वोल्फ’ (1994) तथा वॉल किल्मर के साथ ‘द घोस्ट एंड द डार्कनेस’ (1996) में काम किया. इसके अलावा ओम पुरी ने टॉम हैन्क्स तथा जूलिया रॉबर्ट्स के अभिनय से सजी ‘चार्ली विल्सन्स वॉर’ में भूतपूर्व पाकिस्तानी तानाशाह जनरल ज़िया-उल-हक का किरदार निभाया था.
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