पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि, देश के उत्तरी राज्यों विशेष रूप से दिल्ली में सर्दियों के महीनों में वायु प्रदूषण की समस्या मौसम संबंधी और भौगोलिक कारकों के कारण होती है। श्री प्रकाश जावड़ेकर ने वायु प्रदूषण की समस्या पर कहा है कि, केंद्र, राज्य सरकारों और नागरिकों को मिलकर इस खतरे से लड़ने की दिशा में काम करने की जरूरत है और यह सभी की एक साझा जिम्मेदारी है।
नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि, इस वर्ष दिल्ली और पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों साथ बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 01 अक्टूबर को होगी।
किसी भी समस्या की पहचान करने को उसके समाधान की दिशा में पहला कदम बताते हुए, श्री जावड़ेकर ने कहा कि वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘रियल टाइम एयर क्वालिटी इंडेक्स’ लॉन्च किया था, जोकि वायु प्रदूषण के प्रमुख केंद्रों की पहचान करने और इसके शमन के लिए नीतिगत प्रयासों को निर्देशित करने में एक महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में कार्य करता है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि विशेष रूप से नई दिल्ली में सर्दियों के समय वायु प्रदूषण की समस्या भी मौसम संबंधी कारणों से संबंधित है।
हवा की गति और मिश्रण की ऊंचाई के उत्पाद के रूप में परिभाषित वेंटिलेशन सूचकांक, दिल्ली की वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। यहाँ सर्दियां ठंडी हवा, शुष्क वायु और जमीन की तरफ कम हवा की स्थिति से प्रभावित होती हैं, जो वायु को स्थिर बनाता है और इसके फैलाव के लिए एक प्रतिकूल स्थिति पैदा होती है। सर्दियों के दौरान भारत की उत्तर और उत्तर-पश्चिम से पूर्व दिशा में हवा चलती है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः प्रदूषण तथा कोहरे का संयोजन होता है और इसी कारण से सर्दियों के दौरान दिल्ली में भारी स्मॉग बनता है। सिर्फ इतना ही नहीं स्थानीय और क्षेत्रीय वायु प्रदूषण स्रोतों में वृद्धि होने के कारण गंभीरता और बढ़ जाती है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने प्रदुषण नियंत्रण की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में किये गये उपायों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि, बदरपुर ताप विद्युत संयंत्र को बंद किया गया है। इसके अलावा सोनीपत पावर प्लांट को बंद करना, कम प्रदूषण फैलाने वाले बीएस-VI मानकों को पूरा करने वाले वाहनों और ईंधन को बढ़ावा देना, दिल्ली में पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का निर्माण तेजी से पूरा करना और ई-वाहनों को सब्सिडी आदि अन्य उपायों में शामिल हैं।