25 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल क्रेमर ने जल जीवन मिशन, डीडीडब्ल्यूएस के अधिकारियों से मुलाकात की

देश-विदेश

नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल क्रेमर ने आज सचिव श्रीमती विनी महाजन और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, यूनिसेफ के वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य क्षेत्र के भागीदारों के साथ अंत्योदय भवन में बातचीत की।

प्रो. माइकल क्रेमर एक अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं, जिन्हें दुनिया में गरीबी कम करने के उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो के साथ संयुक्त रूप से 2019 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रो. क्रेमर ने कहा कि उनके अध्ययन से एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह निकला है कि अगर परिवारों को पीने के लिए सुरक्षित पानी उपलब्ध करा दिया जाए तो लगभग 30 फीसदी शिशुओं की मृत्यु को कम किया जा सकता है। डायरिया विशेष रूप से नवजात बच्चों में होने वाली एक आम बीमारी है। नवजात शिशु पानी की बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं और उनके शोध के दौरान किए गए सर्वेक्षण से यह निष्कर्ष निकलता है कि बच्चों से संबंधित हर 4 मौतों में से एक को सुरक्षित पानी का प्रावधान कर रोका जा सकता है। ऐसे में, ‘हर घर जल’ कार्यक्रम विशेष रूप से बच्चों में स्वास्थ्य मानकों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रो. क्रेमर यह जानकर खुश हुए कि जल जीवन मिशन न केवल ग्रामीण घरों में पानी उपलब्ध करा रहा है बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि आपूर्ति किया जाने वाला पानी निर्धारित गुणवत्ता का हो। इस संबंध में, फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का इस्तेमाल कर जल परीक्षण प्रयोगशाला और सामुदायिक निगरानी के माध्यम से जल स्रोतों और आखिरी छोरों (पॉइंट्स) की नियमित जांच की गई।

श्रीमती महाजन ने निरंतरता की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और सुझाव दिया कि पानी का विवेकपूर्ण इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर पर व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता है

यूनिसेफ, भारत के चीफ-वॉश (डब्ल्यूएएसएच) श्री निकोलस ऑस्बर्ट ने बच्चों के स्वास्थ्य पर सुरक्षित पानी के प्रभाव को लेकर बात की। वाटरएड और वॉश इंस्टिट्यूट जैसे अन्य क्षेत्र के भागीदारों ने सुरक्षित पेयजल के महत्व पर अपने विचार रखे।

राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के एएस एंड एमडी श्री विकास शील ने कहा कि जेजेएम ऑपरेशनल रिसर्च करने के लिए नए अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के अध्ययन करने का यह सही समय है क्योंकि गांव कवरेज के विभिन्न चरणों में हैं। कुछ गावों में 100 फीसदी कवरेज है तो कुछ गांवों में आंशिक रूप से नल का पानी उपलब्ध हो पा रहा है जबकि कुछ अभी स्टैंड पोस्ट के ही पानी पर निर्भर हैं।

प्रो. क्रेमर ने भविष्य में पानी के सुरक्षित भंडारण, नई और कम खर्चीली जल उपचार प्रौद्योगिकियों और गांवों में नल के पानी की उपलब्धता के प्रभाव का अध्ययन करने के संबंध में सहयोग का आश्वासन दिया।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More