देहरादून: हाल ही में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी पर इंटरनेशनल एलिस आइलैंड अवॉर्ड जीतने वाले अमिताभ सबसे युवा भारतीय नागरिक बन गए हैं। अमेरिका में हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स और सीनेट दोनों ने एलिस आइलैंड मेडल्स ऑफ ऑनर को आधिकारिक रूप से मान्यता दी है। हर वर्ष के प्राप्तिकर्ताओं को कांग्रेसनल रिकॉर्ड में दाखिल किया जाता है। अतीत में यह अवॉर्ड प्राप्त करने वालों में सात अमेरिकी राष्ट्रपति, विश्व के तमाम नेता, कई नोबेल पुरस्कार विजेता और उद्योग, शिक्षा, कला, खेल और सरकारी क्षेत्र के असंख्य लीडर्स के अलावा अमेरिका के वे आम नागरिक शामिल हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता, अधिकार और संवेदनाओं को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाया है। एलिस आइलैंड सोसाइटी का मिशन इस विविधता को सम्मानित और संरक्षित करना है, ताकि धार्मिक और नस्लीय समूहों के बीच सहनशीलता, आदर और आपसी समझ को बढ़ाया जा सके।
शुरुआत में यह पुरस्कार अमेरिकी नागरिकों और कुछ चयनित अंतर्राष्ट्रीय नेताओं को दिया गया। पूर्व विजेताओं में बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश और जिमी कार्टर जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति, बॉक्सर मुहम्मद अली और रोजा पार्क्स, नोबेल विजेता मलाला, पूर्व पेप्सी प्रमुख इंद्रा नूयी, गायक वायने न्यूटन, गोल्फर आर्नल्ड पामर, अभिनेता माइकल डगलस इत्यादि शामिल हैं। इस वर्ष उसने यह अवॉर्ड जिन दिग्गजों के साथ जीता है, उनमें शामिल हैं – एरिक श्मिट (गूगल के पूर्व सीईओ), गिन्नी रोमेटी (आईबीएम-ग्लोबल सीईओ), अजय बंगा (सीईओ मास्टर कार्ड), मुहतर केंट (चेयरमैन कोका कोला), डॉ. संजय गुप्ता, ऐमी अवॉर्ड विजेता म्यूजिशियन पॉउला अब्दुल और टॉक शो होस्ट मॉन्टेल विलियम्स।
अमिताभ शाह ने महज 23 साल की उम्र में 2005 में युवा अनस्टॉपेबल को लॉन्च किया था। येल यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद उन्होंने जेपी मॉर्गन वॉल स्ट्रीट का ऑफर ठुकरा दिया था, ताकि वे भारत की वास्तविक स्ट्रीट्स में काम कर सकें। उन्होंने इस मूवमेंट को लॉन्च करने का फैसला तब किया, जब उन्होंने अपनी 82 वर्षीया वृद्ध नैनी कमलाबेन को उनके पुत्र द्वारा घर से निकाले जाने के बाद काफी दर्द झेलते हुए देखा। उन्होंने अपने दोस्तों को इकट्ठा किया और वृद्धाश्रमों, बस्तियों और अनाथालयों के लिए ऐच्छिक सेवाएं देना शुरू कर दिया। गांधी के इस कथन पर अमिताभ पूरा भरोसा करते हैं- जो बदलाव आप पूरी दुनिया में देखना चाहते हैं, पहले खुद में वह बदलाव बनिए। पहले ही साल अपने दोस्तों और परिवार की तरफ से उन्हें गंभीर प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, क्योंकि सबको यह लग रहा था कि उसका दिमाग खराब हो रहा है, तभी तो उसे इतनी कम उम्र में दूसरों की सेवा करने का चस्का लग गया है। आखिर क्यों तुम साठ साल के होने तक इंतजार कर लेते, जब तुम अरबपति बन चुके हो या किसी टॉप कंपनी से सेवानिवृत्त हो चुके हो? लेकिन अमिताभ ने हिम्मत नहीं हारी और अब तो उनका परिवार ही पूरे उत्साह के साथ उनका साथ देने वालों में अव्वल बना हुआ है।
भारत में तकरीबन 1.3 मिलियन स्कूल हैं और उनमें से आधे में अभी भी लड़कियों के लिए टॉयलेट की सुचारु व्यवस्था नहीं है। युवा अनस्टॉपेबल ने 100 टॉप कंपनियों (सिस्को, माइक्रोसॉफ्ट, वीआईपी बैग्स, टॉरेंट, दिशमान फॉर्मा, कोका-कोला, फेसबुक, केयर्न, अदाणी, एक्साइड, रिलायंस, किंग्स पंजाब आईपीएल, ओएनजीसी इत्यादि) के साथ काम करते हुए बेहतर टॉयलेट, शुद्ध पेय जल, स्कॉलरशिप, स्मार्ट क्लासरूम, मूल्य आधारित शिक्षण इत्यादि के जरिये 1000 सरकारी स्कूलों और पांच लाख बच्चों की जिंदगी बदल दी है। युवा पहलों में भाग लेने वालों में शामिल हैं – प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम जैसे राजनेता, अक्षय कुमार और आर.बाल्की जैसे बॉलीवुड दिग्गज, वीवीएस लक्ष्मण व सर इयान बॉथम जैसे क्रिकेटर, लेखकों में जेफरी ऑर्चर, कॉर्पोरेट लीडर जैसे पॉल पॉलमैन (यूनीलिवर सीईओ), श्री नादिर गोदरेज, श्री गौतम अदाणी,निमेश कंपानी (जेएमएफएल), भरत शाह (एचडीएफसी सिक्युरिटी के चेयरमेन और युवा अनस्टॉपेबल एडवाइजरी के चेयरमेन) इत्यादि।
इनोवेटिव फिलान्थ्रोफी के लिए प्रिंस प्राइज़ के 2015 के विजेता भी अमिताभ थे। यह पुरस्कार उन्हें मोनाको के एचएसएन प्रिंस अल्बर्ट प्प् द्वारा प्रदान किया गया था। अलीबाबा ग्रुप के जैक मा इसमें सेमीफाइनलिस्ट थे। सेंटर ऑफ पीस स्टडीज ने 2018 में उन्हें श्रीलंका पीस एंबेसडर की पदवी से नवाजा। वह दयालुता, आभार और आत्म-विश्वास से जुड़े विषयों पर एक ख्यातिप्राप्त प्रेरणादायक स्पीकर हैं और टेड टॉक्स, येल, व्हारटन, वाईपीओ/डब्ल्यूपीओ, यूनाइटेड वेज मिलियन डॉलर राउंड टेबल इत्यादि में अपनी उपस्थिति से लाखों का दिल जीतते आ रहे हैं। युवा ऊर्जा को गतिशीलता प्रदान करने और शैक्षिक संस्थानों में व्यापक बदलाव लाने के लिए रोटरी इंटरनेशनल द्वारा उन्हें2019 का आइकोनिक यूथ अवॉर्ड प्रदान किया गया। राष्ट्रीय अवॉर्ड विजेता फिल्म डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा के साथ गुलजार और शंकर एहसान लॉय ने युवा के ग्रासरूट प्रयासों से प्रेरित होकर एक फिल्म बनाई- मेरे प्यारे पीएम। यह एक 8 वर्षीय बच्चे की कहानी है, जो अपनी मां के लिए एक टॉयलेट बनवाना चाहता है। अमिताभ तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक वे अगले पांच वर्षों में 10,000 स्कूलों और 5 मिलियन बच्चों की जिंदगी में बदलाव नहीं ला पाएंगे।
उद्रयोग दिग्गजों द्वारा प्रशंसा के कुछ शब्द :
युवा को संरक्षण देने वाले दिलीप पीरामल के एमडी कहते हैं : ’इस शानदार सम्मान के लिए युवा और अमिताभ को मेरी तरफ से शुभकामनाएं। यह भारत के लिए महान उपलब्धि है और स्कूलों के स्तर में सुधार के युवा के लक्ष्य में साथ देने के लिए ज्यादा से ज्यादा कंपनियां आगे आने को प्रेरित होंगी। ’
डाबर के डायरेक्टर और युवा के एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य मोहित बर्मन कहते हैं : ’युवा का कार्य केवल स्कूलों में स्वच्छता की व्यवस्था बनाने तक सीमित नहीं है, यह तो भारत के निर्माण के बारे में है। ’
परफेक्ट रिलेशंस के फाउंडर और युवा की एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य दिलीप चेरियन कहते हैं : ’हम 1000 स्कूलों तक पहुंच चुके हैं और यह तो बस एक शुरुआत है।’
एलिस आइलैंड अवॉर्ड के चेयरमेन नसीर कजेमिनी कहते हैं : ’भारत के लिए शिक्षा और बच्चों के क्षेत्र में अमिताभ जो काम कर रहे हैं, हम उसे सलाम करते हैं और उसकी सराहना करते हैं।