नई दिल्ली/देहरादून: सहिष्णुता व सद्भाव भारत की परम्परा व संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। भारतीय इतिहास साक्षी है कि जिन शासकों ने
सभी धर्मों, जातियों के प्रति समान व्यवहार रखा और प्रेम व सद्भाव को अपनी नीति बनाया उन्हें महान माना गया है। रविवार को नोएडा स्थित इंदिरा कला केंद्र में आयोजित 7वें पाखी महोत्सव के अवसर पर ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व असहिष्णुता’’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में बोलते हुए उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि विभिन्नताओं वाले भारत देश में वही शासक सफलतापूर्वक शासन कर सकता है जो नीति व व्यवहार में सहिष्णु होता है। जब तक अशोक ने तलवार से विजय की नीति अपनाई तब तक उसे सम्राट माना गया परंतु महान तभी कहा गया जब अहिंसा व प्रेम उसकी नीति का महत्वपूर्ण अंग हो गया। औरंगजेब विद्वान व धर्मपरायाण शासक था परंतु महान अकबर को कहा गया क्योंकि उनकी राजनीति सहिष्णुता पर आधारित थी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि भारतीय संविधान में भी सभी धर्माें, सम्प्रदायों व जातियो को बराबरी का दर्जा दिया गया है। संविधान की इस महानता की हमें रक्षा करनी है। भारतीय संविधान में ही अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है, परंतु हमें यह भी देखना चाहिए कि हमारे आचार व विचार में असहिष्णुता की झलक न हो। पाखी महोत्सव की इस परिचर्चा के लिये मुख्यमंत्री ने सण्डे पोस्ट के संपादक अपूर्व जोशी को बधाई दी। परिचर्चा का संचालन पत्रकार निवेदिता झा द्वारा किया गया।