लखनऊ: प्रदेश सरकार द्वारा उद्योग विभाग (खानें और खनिज) के तहत अलौह खनन तथा धातु कर्म उद्योग के अन्तर्गत मिट्टी खनन से प्राप्त होने वाला राजस्व की वसूली के सम्बन्ध में शासन स्तर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
यह जानकारी आज यहां राज्य सरकार के प्रवक्ता ने देते हुए बताया कि जिन जनपदों में कार्यदायी संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेस-वे के अन्तर्गत बनने वाले राजमार्गोें, लोक निर्माण विभाग तथा ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा विभाग द्वारा निर्मित किए जाने वाले मार्ग में काफी मात्रा में मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, सिंचाई विभाग द्वारा विभिन्न नहरों के किनारों के मार्गों के निर्माण में भी मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। जिन जनपदों में विकास प्राधिकरण स्थित हैं, वहां विकास प्राधिकरणों द्वारा अथवा आवास विकास द्वारा और नगरपालिकाओं/नगर पंचायतों द्वारा विभिन्न भवनों के मानचित्र स्वीकृत किए जाते हैं, उनमें भी जहां बेसमेंट का प्राविधान होता है। इन स्थानों पर काफी मात्रा में खुदाई के परिणामस्वरूप मिट्टी निकलती है। जहां पर रायल्टी की देयता बनती है, परन्तु जनपद के खनन प्रशासन को अनुमोदित मानचित्रों की सूचना नहीं प्राप्त होने के कारण भारी मात्रा में राजस्व तात्कालिक रूप से जमा नहीं हो पाता है, जिससे राजस्व की वसूली भी प्रभावित होती है।
प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश के कतिपय जनपदों में उ0प्र0 राज्य औद्योगिक विकास निगम अथवा उनकी विभिन्न इकाइयों द्वारा भी मानचित्र स्वीकृत किये जाते हैं, जिनके अन्तर्गत निर्माण कार्यों में काफी मात्रा में मिट्टी का प्रयोग होता है, जिसकी रायल्टी भी खनन विभाग को नहीं प्राप्त हो पाती है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि समस्त मण्डलायुक्त एवं जिलाधिकारियों से अपेक्षा की गई है कि जनपद के अन्तर्गत इन बिन्दुओं का समुचित अनुश्रवण करते हुए वांछित कार्यवाही कराया जाना सुनिश्चित करें, जिससे अलौह खनन एवं धातुकर्म से प्राप्त होने वाले नियत राजस्व की प्राप्ति हो सके और यदि किसी विभाग के स्तर पर शिथिलता पायी जाए, तो सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों को इस विषय में प्राथमिकता पर रायल्टी को जमा करने हेतु अपने स्तर से निर्देशित किया जाए तथा बरती गयी शिथिलता के सम्बन्ध में विधिमान्य कार्यवाही भी की जाए।
प्रवक्ता ने बताया कि इस संबंध में की गयी कार्यवाही की सूचना भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, उ0प्र0 शासन और निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म को भी उपलब्ध करायी जाए, जिससे अलौह खनन एवं धातुकर्म से प्राप्त होने वाले राजस्व की शत-प्रतिशत प्राप्ति सुनिश्चित हो सके।