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पूर्वोत्‍तर के लिए नई सुरक्षा पहलें: डॉ. जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: उत्‍तर पूर्व क्षेत्र विकास, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्‍य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत सरकार के वरिष्‍ठ खुफिया अधिकारियों और सुरक्षा विशेषज्ञों की बैठक बुलाई थी। बैठक के दौरान उन्‍होंने पूर्वोत्‍तर की सुरक्षा व्‍यवस्‍था चाक-चौबंद बनाने के संबंध में उठाए गए कदमों की चर्चा की।
बैठक में राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोवाल, संयुक्‍त गुप्‍तचर समिति के अध्‍यक्ष श्री आर. एन. रवि, गुप्‍तचर ब्‍यूरो के निदेशक श्री दिनेश्‍वर शर्मा, सीमा सुरक्षा बल के पूर्व निदेशक श्री ई. एन. राममोहन, भारत तिब्‍बत सीमा पुलिस एवं केंद्रीय आरक्षी पुलिस बल के पूर्व निदेशक श्री विक्रम श्रीवास्‍तव, सांसद डॉ. सत्‍यपाल सिंह, आईपीएस (सेवा निवृत्‍त) और सांसद श्री विष्‍णु दयाल शर्मा, आईपीएस (सेवा निवृत्‍त) भी उपस्‍थित थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वोत्‍तर के विकास के लिए भारत सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वे तभी फलीभूत हो सकते हैं जब सुरक्षा महौल चाक-चौबंद हो। इसी से प्रेरित होकर यह बैठक बुलाई गई है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी पूर्वोत्‍तर से संबंधित मुद्दों पर बहुत रूचि रखते हैं और इस तरह के सुरक्षा प्रयास उनके द्वारा ही प्रेरित हैं।

मंत्री महोदय ने क्षेत्र में सुरक्षा माहौल में सुधार संबंधी सुझावों का उल्‍लेख किया, जिनमें पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में पुलिस का आधुनिकीकरण और क्षेत्र में असम रायफल तथा भारत तिब्‍बत सीमा पुलिस को दोबारा तैनात करना शामिल है। उन्‍होंने कहा कि यद्यपि यह मुद्दा गृह मंत्रालय के अधीन आता है, लेकिन इससे विकास गतिविधियां, अर्थव्‍यवस्‍था और ‘ऐक्‍ट ईस्‍ट प्‍लान’ जुड़ा हुआ है, इसलिए उत्‍तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय ने खुद यह पहल की है कि क्षेत्र की सुरक्षा संबंधी स्‍थिति की जानकारी ली जाए और उसे विचार के लिए गृह मंत्रालय को भेजा जाए।

बैठक में पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में पूर्वी सीमाओं से लगे देशों के साथ व्‍यापार गलियारों और चेकपोस्‍टों के गठन के संबंध में भी सुझाव दिए गए। क्षेत्र के कुछ लोगों द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शनों और सड़कों को बाधित करने से अर्थव्‍यवस्‍था और विकास गतिविधि प्रभावित होती है, जिससे निपटने के लिए एक ब्‍लू प्रिंट बनाने पर भी विचार किया गया।

बैठक में फैसला किया गया कि सुरक्षा दृष्‍टिकोण से क्षेत्र के सर्वाधिक संवेदनशील जिलों की पहचान की जाए और वहां काम करने वाले सुरक्षा अधिकारियों, पूर्वोत्‍तर के विशेषज्ञों और सुरक्षा अध्‍येयताओं से परामर्श करने के बाद एक रोड मैप तैयार किया जाए।

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