नई दिल्ली: केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार के सहयोग से पूर्वोत्तर क्षेत्र में बांस उद्योग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसपर समुचित ध्यान नहीं दिया गया है जबकि तथ्य बताते हैं कि भारत का 60 प्रतिशत बांस उत्पादन पूर्वोत्तर क्षेत्र में ही होता है। गुवाहाटी में आयोजित पूर्वोत्तर नीति आयोग फोरम की बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों के तहत बांस को वन अधिनियम से बाहर रखा गया है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) का गठन किया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र और बांस विकास परिषद (एनईसीबीडीसी) पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए समन्वय एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कुल 1290 करोड़ रुपये की निधि में वर्ष 2018-19 के लिए 150 से 200 करोड़ रुपये का आवंटन पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए किया गया है। उच्च मूल्य वाले उत्पादों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जैसे बांस की कोपलें, कैंडी, फैशन उद्योग के लिए बांस चारकोल फाइबर आदि। फाइबर, विनिर्माण सामग्री, लकड़ी आदि से संबंधित बड़े उद्योगों में बांस व्यापार का विस्तार किया जा सकता है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के साढ़े चार वर्षों के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए निरंतर प्रयास हुए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से क्षेत्र के विकास पर ध्यान दिया है। पिछले वर्षों के दौरान पर्यटन क्षेत्र में भी विकास हुआ है। गंगटोक और शिलांग जैसे शहरों पर्यटकों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है।
डॉ. सिंह ने आगे कहा कि चाय क्षेत्र को भी प्राथमिकता सूची में रखा जाना चाहिए। केवल असम में ही 850 टी इस्टेट और 2500 चाय बागान हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना चाहिए क्योंकि क्षेत्र की 95 प्रतिशत आबादी मछली का उपयोग करती है।