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किसी जाति पंथ के दायरे में नहीं बंधे थे बाबा साहब भीमराव अंबेडकरः राजनाथ सिंह

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: बाबा साहब भीमराव अंबेडकर किसी जाति या पंथ के दायरे में नहीं बंधे थे और उनके विचारों के आधार पर ही

आज देश के कई बड़े प्रतिष्ठान काम कर रहे हैं। ये बातें केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज लखनऊ में भारत जन ज्ञान विज्ञान समिति के भवन में अंबेडकर डाक्यूमेंटेशन एंड रिसर्च सेंटर के साथ ही पुस्तकालय का उद्घाटन करते हुए कहीं। इस मौके पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि बाबा साहब प्रखर राष्ट्रवादी थे और केन्द्र सरकार उनसे जुड़े स्थलों का पंचतीर्थ की तर्ज पर विकास कर रही है जिसके लिए करोड़ों की योजनाएं प्रस्तावित हैं।

अंबेडकर डाक्यूमेंटेशन एंड रिसर्च सेंटर और पुस्तकालय का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार बाबा साहब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाना चाहती है। इसीलिए उनकी 125वीं जयंती देशभर में धूम-धाम से मनाई गई जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने न केवल विशेष रुचि ली बल्कि आयोजन समिति की अध्यक्षता भी स्वीकार की। गृहमंत्री ने कहा कि लोग बाबा साहब के संविधान बनाने में योगदान को तो याद रखते हैं लेकिन उनके दूसरे क्षेत्रों में योगदान पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। आज देश में जो भी प्रमुख संस्थाएं हैं, चाहें वो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया हो, सिंचाई औऱ जल संरक्षण के संस्थान हों, दामोदर, सोन वैली प्रोजेक्ट या फिर हीराकुड प्रोजेक्ट हो या फिर फाइनेंस कमीशन ऑफ इंडिया हो और इंश्योरेंस एक्ट हों, इन सबके पीछे बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का ही विचार था। उन्होंने देश के संविधान में मूल अधिकार नामक ऐसी व्यवस्था दी जो संविधान के फेफड़े की तरह है जिसके न होने पर आपातकाल में देश का दम घुटने लगा था। इस अवसर पर उन्होंने याद दिलाया कि बाबा साहब ने जिन भगवान बुद्ध से प्रेरणा ली थी उनकी मूर्तियों के बामियान में तालिबान द्वारा तोड़े जाने पर उनकी सरकार ने कुशीनगर में उससे बड़ी मूर्ति बनाने का ऐलान किया था। आज केन्द्र सरकार 200 करोड़ की लागत से अंबेडकर का इंटरनेशनल सेंटर बनाने जा रही है।

इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि सरकार बाबा साहब भीमराव अंबेडकर से जुड़े ऐतिहासिक क्षेत्रों को पंचतीर्थ के तौर पर विकसित कर रही है। इनमें उनका महू स्थित जन्मस्थल है जिसे 1991 में मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार ने विकसित करके महाकुंभ का आयोजन शुरु किया जो आज भी उनके जन्मदिवस पर लगता है जिसमें लाखों लोग हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा लंदन स्थित उनकी शिक्षाभूमि यानी वो मकान जिसमें रहकर उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की थी, उसे महाराष्ट्र की सरकार ने खरीदकर स्मारक बनाने का काम शुरु किया है। वहीं उनकी दीक्षाभूमि नागपुर में महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना सरकार ने स्मारक बनाया जबकि 26 अलीपुर, दिल्ली स्थित वो भवन जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली उसे अटल विहारी बाजपेयी की सरकार ने 13 करोड़ में खरीदा जहां आज केन्द्र सरकार अंतरराष्ट्रीय अंबेडकर शिक्षा संस्थान तैयार कर रही है जिसके लिए 195 करोड़ का बजट रखा गया है और काम 2017 के अंत तक पूरा होगा। उनकी चैत्य भूमि जो इंदु मिल के पास है उसे भी महाराष्ट्र सरकार खरीदकर स्मारक के तौर पर विकसित कर रही है।

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