राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविंद ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59वें महाधिवेशन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने उज्जैन में राजकीय आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के नए भवन का भी वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया।
इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया भर में कई चिकित्सा प्रणालियां प्रचलित हैं, लेकिन आयुर्वेद उनसे अलग है। आयुर्वेद का अर्थ है – जीवन का विज्ञान। ‘पैथी’ शब्द दुनिया में प्रचलित कई चिकित्सा प्रणालियों से जुड़ा है। इसका अर्थ है किसी बीमारी के होने पर उसका इलाज करने की विधि। लेकिन आयुर्वेद में स्वास्थ्य के साथ-साथ बीमारियों से बचाव पर भी बल दिया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमें आयुर्वेद का पारंपरिक ज्ञान है। लेकिन आज प्रमाणन और गुणवत्ता के लिए अनुसंधान और अन्वेषण का समय है। यह समय आयुर्वेद के ज्ञान को और गहराई से समझने, वैज्ञानिक परीक्षण के साथ बने रहने और वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार तकनीकी मानकों को संशोधित करने का है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने भारतीय चिकित्सा पद्धति के संरक्षण और संवर्धन के लिए समय-समय पर कई उपाय किए हैं। हालांकि वर्ष 2014 में अलग आयुष मंत्रालय की स्थापना के बाद इस काम में और तेजी आई है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार से जुड़ी विभिन्न शोध परिषदों द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वास्थ्य की स्थिति हमारे आहार, जीवन शैली और यहां तक कि हमारी दिनचर्या पर भी निर्भर करती है। हमारी दिनचर्या क्या होनी चाहिए, हमारी मौसमी दिनचर्या क्या होनी चाहिए और दवा से पहले हमारा आहार क्या होना चाहिए, यह सब आयुर्वेद में बताया गया है। उन्होंने कहा कि महाधिवेशन के दौरान ‘आयुर्वेद आहार-स्वस्थ भारत का आधार’ विषय पर भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस विचार-विमर्श के परिणाम लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने में उपयोगी होंगे। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन शुरू से ही आयुर्वेद को भारत की राष्ट्रीय चिकित्सा प्रणाली बनाने का काम करता रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद के प्रशासन, अनुसंधान और शिक्षा से जुड़े लोग यहां एक स्थान पर एकत्रित हुए हैं, इसलिए आशा की जा सकती है कि प्रशासक नीतिगत बाधाओं को दूर करेंगे और आयुर्वेद के बारे में आम जनता में जागरूकता बढ़ाएंगे; कि आयुर्वेद के शिक्षक ऐसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से योग्य चिकित्सकों को तैयार करेंगे जो लोगों को वहनीय उपचार प्रदान कर सकें; और शोधकर्ता रोगों के उपचार और महामारी विज्ञान के नए क्षेत्रों में अनुसंधान, दस्तावेजीकरण और सत्यापन के माध्यम से आयुर्वेद की पहुंच, प्रभावशीलता और लोकप्रियता में वृद्धि करेंगे।