वित्त मंत्रालय ने रविवार को बैंकों (Banks) से कहा कि वो इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन पर किसी तरह का चार्ज नहीं वसूलें. मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि ऐसी खबरें है कि कुछ बैंक UPI ट्रांजैक्शन पर चार्ज वसूल रहे हैं. ये बैंक कुछ ट्रांजैक्शन मुफ्त दे रहे हैं और उस लिमिट से ज्यादा ट्रांजैक्शन करने पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट्स (MDR) वसूले जा रहे हैं. वित्त मंत्रालय ने साफ कर दिया कि यह CBDT के 30 दिसंबर 2019 के सर्कुलर के खिलाफ है.
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर टैक्सेस (CBDT) ने ट्वीट करके कहा कि अगर किसी बैंक ने 1 जनवरी 2020 से/बाद किसी भी डिजिटल ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट्स (MDR) वसूला है तो वह वापस कर दे. सीबीडीटी ने यह भी कहा कि बैंक भविष्य में होने वाले इस तरह के किसी ट्रांजैक्शन पर भी चार्जेज नहीं वसूलेंगे.
Banks are also advised not to impose any charges on any future transactions carried through these prescribed modes.(2/2)@nsitharamanoffc @Anurag_Office @FinMinIndia @PIB_India
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) August 30, 2020
क्या होता है मर्चेंट डिस्काउंट रेट
मालूम हो कि दुकानदार डेबिट, क्रेडिट कार्ड या डिजिटल पेमेंट करने पर ग्राहक से मर्चेंट डिस्काउंट रेट लेते हैं. एक तरीके से यह डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट की सुविधा पर लगने वाला चार्ज है. एमडीआर से मिलने वाली रकम दुकानदार के खाते में नहीं जाती है. कार्ड से होने वाले हर पेमेंट के एवज में उसे एमडीआर भरना होता है.
डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने का कदम
सरकार ने डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने और कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए वित्त अधिनियम 2019 में धारा 269एसयू के रूप में एक नया प्रावधान जोड़ा है. इसके तहत यह अनिवार्य कर दिया गया है कि पिछले साल 50 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले व्यक्ति तत्काल प्रभाव से तय इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित करें.
साथ ही सरकार ने दिसंबर 2019 में रुपे वाले डेबिट कार्ड, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई/भीम-यूपीआई) और यूपीआई क्विक रिस्पांस कोड (क्यूआर कोड) को निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक माध्यम अधिसूचित किया.