देहरादून: राज्य के सभी कर्मचारी संगठन अगर दो वर्षों के लिए अपनी मांगें एक तरफ रख दे तो मनरेगा, रमसा, उपनल जैसे अस्थाई कर्मचरियों की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। गुरूनानक वेडिंग पाइंट में महात्मा गांधी नरेगा कर्मचारी संगठन उत्तराखण्ड के प्रांतीय अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मनरेगा कर्मियों की सेवाएं सुरक्षित करने के लिए एक फे्रमवर्क तैयार किया जाएगा।
मनरेगा कर्मियों के लम्बित मानदेय का शीघ्र भुगतान किया जाएगा। उन्हें प्रदेश सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओ ंसे लाभान्वित किया जाएगा। आंदोलन करने वाले कर्मियों पर किए गए मुकदमें वापिस लिए जाएंगे। साथ ही बाहर किए गए कर्मियों को वापिस सेवा में बहाल किया जाएगा। कुछ सुविधाएं तात्कालिक तौर पर भी दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि मनरेगा कर्मी 6 माह में अपना आउटपुट दिखाएं तो उनके मानदेय में वृद्धि की जा सकती है। मनरेगा जैसी तमाम परियोजनाएं किसी विशेष मकसद से पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के समय प्रारम्भ की गई थीं। इनमें केंद्र व राज्य सरकारों का अंश स्पष्ट रूप से निश्चित किया गया था। परंतु अब विŸाीय वर्ष के बीच में ही केंद्र सरकार द्वारा कहा जा रहा है कि यदि राज्य सरकार इन परियोजनाओं को संचालित करना चाहती हैं तो अपने संसाधनो ंसे करे। इससे उŸाराखण्ड में लगभग 7 हजार कर्मियों के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि राज्य सरकार के संसाधन सीमित हैं परंतु हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि इन कर्मियों का भविष्य किस तरह से सुरक्षित रखा जा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार विकास कार्यों के लिए आवंटित धनराशि को मानदेयों के भुगतान में प्रयोग नहीं कर सकती है। टैक्स बढ़ाने के विकल्प भी सीमित ही होते हैं। मनरेगा के अधिकांश कर्मी युवा हैं और बहुत क्वालिफाईड हैं। इनके भविष्य को लेकर हम भी बहुत चिंतित हैं। एक रोड़मैप बनाया जाएगा कि किस प्रकार इनकी सेवाएं सुरक्षित की जा सकती हैं और योग्य कर्मियों का उपयोग किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि मनरेगा के माध्यम से दक्षिण भारत के तीन राज्यो केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु ने अपने गांवों की तस्वीर गदली है परंतु उŸाराखण्ड में हम ऐसा नहीं कर पाए हैं। मनरेगा कर्मी गांवों में मोटिवेटर के तौर पर काम करें और गांवों मे ंपरिवर्तन लाने का काम करें। हमें कुछ अतिरिक्त करने व राज्य के लिए कुछ त्याग करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उन्होंने राज्य के सभी ग्राम प्रधानों को पत्र लिखकर गांवों को 14 वें विŸा आयोग से मिलने वाली धनराशि का प्रयोग करने के लिए स्वच्छता, छोटे जलाशयों के निर्माण, चारा प्रजाति के वृक्षारोपण, सम्पर्क मार्गों के निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का सुझाव दिया था। इस पर भी बहुतों ने विरोध जताया जबकि पत्र में स्पष्ट कर दिया गया था कि धन को व्यय ग्राम पंचायत ही करेगी। अगर उŸाराखण्ड का विकास करना है तो हमें अपनी सोच का दायरा बढ़ाना होगा।
ग्राम्य विकास मंत्री प्रीतम सिंह ने कहा कि राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि मनरेगा कर्मियों की दिक्कतें दूर की जा सकें। उŸाराखण्ड में मानदेय अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। केबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने कहा कि कर्मचारी नींव का पत्थर होता है। मनरेगा विश्व का सबसे बड़ा जनकल्याणकारी कार्यक्रम है।