देहरादून: अन्य पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने आयोग परिसर में आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि आयोग की अनुशंसा पर
सरकार द्वारा पिछडे वर्ग के लिए जारी किये जाने वाले प्रमाण पत्र की वैधता तीन वर्ष कर दी गई है। ज्ञातव्य है कि पहले पिछडे वर्ग के लोगों को जारी प्रमाण पत्र की वैधता एक वर्ष थी। आयोग द्वारा पिछडे वर्ग की समस्याओं को देखते हुए 28 फरवरी 2014 को प्रस्ताव सरकार को प्रेषित किया गया जिसको स्वीकारते हुए सरकार द्वारा जारी शासनादेश संख्या 310 दिनांक 26 फरवरी 2016 द्वारा पिछडा वर्ग प्रमाण पत्र की वैधता अवधि प्रमाण पत्र निर्गत होने के तिथि से तीन वर्ष तक के लिए मान्य की गई है।
अध्यक्ष अन्य पिछडा वर्ग आयोग अशोक बताया कि आयोग द्वारा सरकार को दो और प्रस्ताव भेजे गये है जिसमें क्रिमीलेयर की सीमा 10 लाख रू. करने की अनुशंसा की गई है जो कि वर्तमान में 6 लाख रू. है। उन्होने बताया कि एक अन्य प्रस्ताव में आयोग द्वारा पिछडा वर्ग की कन्याओं को शादी हेतु अनुदान राशि की भी अनुशंसा की गई है। उन्होने कहा कि सरकार से अनुरोध किया गया है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लिए संचालित शादी, बीमारी अनुदान की भांति पिछडा वर्ग की कन्याओं के लिए अनुदान की अनुशंसा की गई है। उन्होने कहा कि 2011 की जनगणा के अनुसार उत्तराखण्ड प्रदेश में पिछडा वर्ग के लोगो की जन संख्या बढ गई है जो 1597628 है जिसके लिए उन्होने दुबारा सर्वे करने की अपेक्षा की है। ताकि वर्तमान जन संख्या के आधार पर पिछडें वर्ग के लोगों को सहायता प्रदान की जा सके ।