उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज राज्यपालों से राज्यों के लिए एक ‘मार्गदर्शक’ के रूप में कार्य करने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रमों को राज्यों द्वारा ठीक से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का कार्यालय “न तो एक सजावटी और न ही एक राजनीतिक पद है ” और उन्हें अपने आचरण से राज्य प्रशासन के लिए ‘एक उदाहरण’ स्थापित करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति आज उप-राष्ट्रपति निवास में आयोजित दोपहर के भोज में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपालों, उपराज्यपालों और प्रशासकों को संबोधित कर रहे थे।
श्री नायडु ने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की भूमिका में अपने राज्य में यथासंभव अधिक से अधिक विश्वविद्यालयों का दौरा करें और छात्रों और कर्मचारियों के साथ बातचीत कर उन्हें प्रेरित करें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन का नीति में दी गई बातों और भावनाओं के आधार पर निरीक्षण करें।
उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि राज्यपाल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में टीबी के उन्मूलन और अन्य स्वास्थ्य जागरूकता पहलों में भी महत्वपूर्ण भागीदार बन सकते हैं। टीकाकरण का उदाहरण देते हुए, श्री नायडु ने बताया कि कैसे लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने के सकारात्मक परिणाम मिले हैं और भारत में मृत्यु दर में कमी आई है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्यपाल विभिन्न टीकाकरण अभियानों में भागीदार बनें और लोगों के साथ बातचीत में स्वस्थ आहार की आदतों के महत्व पर भी जोर दें।
विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल, उपराज्यपाल और प्रशासक, उनके जीवनसंगी, गृह मंत्री श्री अमित शाह, वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में उपस्थित थे।