लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार ने जनपद पीलीभीत के सहायक आबकारी आयुक्त/जिला आबकारी अधिकारी चन्द्र कान्त सिंह को शासकीय कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाही बरतने, अपने कर्तव्यों का समुचित निर्वहन न करने तथा व्यवस्थापन जैसे महत्वपूर्ण प्रकरण में नियम विरूद्ध तरीके से दुकानों को व्यवस्थित करने के आरोप में निलम्बित कर दिया है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने जनपद झांसी में अवैध मदिरा का परिवहन करने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह के पकड़े जाने के प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए जिला आबकारी अधिकारी गंगा राम को निलम्बित कर दिया है।
यह जानकारी प्रमुख सचिव आबकारी श्री संजय आर भूसरेड्डी ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि पीलीभीत के जिला आबकारी अधिकारी के विरूद्ध काफी लम्बे समय से दुकानों के व्यवस्थापन से सम्बंधित शिकायते प्राप्त हो रही थी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में दैनिक आधार पर संचालित की गयी दुकानों के सम्बन्ध में जिला आबकारी अधिकारी द्वारा न विज्ञप्ति प्रकाशित की गयी, न लाइसंेस प्राधिकारी से अनुमोदन प्राप्त किया गया और न ही आबकारी आयुक्त से पूर्वानुमति प्राप्त की गयी। साथ ही साथ जिलाधिकारी द्वारा किये गये निरीक्षण में गत वर्ष में देशी शराब दुकानों का व्यवस्थापन नियमविरूद्ध तथा अनियमित पाया गया। इन प्रकरणों को संज्ञान में लेकर चन्द्र कांत सिंह को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है।
श्री भूसरेड्डी ने बताया कि जनपद झांसी में जिला आबकारी अधिकारी गंगा राम द्वारा कई आबकारी दुकानों का निर्धारित चैहद्दी पर संचालन न कराकर अन्य स्थान पर संचालित कराया गया। उन्होंने बताया कि इसके साथ श्री गंगा राम अभियान के दौरान पुलिस द्वारा अवैध मदिरा का निर्माण, विक्रय और परिवहन करने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह के पकड़े जाने के गम्भीर प्रकरण में दोषी पाये गये। शासन ने इन प्रकरणों को गम्भीरता से लेकर जिला आबकारी अधिकारी, झांसी को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया।
श्री भूसरेड्डी ने बताया कि जिला आबकारी अधिकारी झांसी और पीलीभीत के विरूद्ध निहित प्राविधानों के तहत विभागीय और अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने कि संस्तुति की गयी है। उन्होंने बताया कि इन अधिकारियों को निलम्बन अवधि में आबकारी आयुक्त कार्यालय प्रयागराज से सम्बद्ध कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि भविष्य में किसी भी जिले में इस प्रकार की लापरवाही/अनियमितता पायी जायेगी, तो सम्बन्धित अधिकारी अथवा कर्मचारी के विरुद्ध कठोरतम् कार्यवाही करते हुए दण्डित किया जायेगा। गम्भीर मामलों में उनकी बर्खास्तगी पर भी विचार किया जायेगा।