देहरादून: राज्य सरकार द्वारा लाल बत्ती की अनुमन्यता से सम्बन्धित पूर्व समस्त
आदेशों को अतिक्रमित संशोधित अधिसूचना जारी कर दी गई है। श्रेणी ‘‘क‘‘ महामहिम राज्यपाल, उत्तराखण्ड, उच्च न्यायालय, नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड विधानसभा के अध्यक्ष, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण, उत्तराखण्ड राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष, राज्य मंत्रिमण्डल के मंत्रिगण। शासकीय वाहनों में ड्यूटी के दौरान फ्लैशर युक्त लाल बत्ती का उपयोग कर सकते हैं। श्रेणी ‘‘ख‘‘ में वाहन के शीर्ष अग्रभाग पर फ्लैशर रहित लाल बत्ती, उत्तराखण्ड विधानसभा के उपाध्यक्ष, उत्तराखण्ड के राज्य मंत्री, मुख्य सचिव, अध्यक्ष लोक सेवा आयोग, महाधिवक्ता उत्तराखण्ड, अध्यक्ष, अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग, आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग लगा सकते है।
सचिव परिवहन सी0एस0 नपलच्याल ने बताया है कि इनके अतिरिक्त शासकीय/निजी वाहन में लाल बत्ती का प्रयोग पूर्णतः वर्जित कर दिया गया है। इस अधिसूचना का उल्लघंन किये जाने पर सम्बन्धित व्यक्ति के विरूद्ध केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत कार्यवाही की जायेगी। आवश्यक सेवायें एम्बुलेन्स सेवाओं, अग्निशमन सेवाओं, शान्ति व्यवस्था में लगे पुलिस एस्कार्ट/पायलेट में लगे वाहनों में लाल बत्ती का प्रयोग किसी भी दशा में नहीं किया जायेगा। ऐसे वाहनों द्वारा नीली/सफेद अथवा अन्य बहुरंगी बत्ती का प्रयोग इस संबध में जारी किये गये शासनादेशों के अनुसार किया जा सकता है। किसी भी वाहन में बहुत-स्तर हानर्, ध्वनि, कर्कश, कंपित या ज्यादा शोर उत्पन्न होने वाली किसी भी युक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। इसका उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध सुसंगत नियमों के अन्तर्गत भारी जुर्माना लगाया जायेगा। किसी भी व्यक्ति द्वारा मोटरयान अधिनियम, 1988 एवं केन्द्रीय नियमावली 1989 के प्राविधानानुसार अपने निजी वाहनों में भारत सरकार, उत्तराखण्ड सरकार, विभाग का नाम अथवा अपना अन्य किसी प्रकार का पद/नाम/विवरण अंकित करना प्रतिबन्धित है। पुलिस अधिकारियों एवं प्रवर्तन कार्य में लगे परिवहन विभाग के अधिकारियों द्वारा उक्त आदेशों का कडाई से अनुपालन सुनिश्चित किये जाने हेतु निर्देशित किया जाता है।