नई दिल्ली: केन्द्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) से जुड़े अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कल यहां केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, जन शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह से भेंट की और पदोन्नति से जुड़े अपने मामलों के त्वरित निपटारे के लिए उनका धन्यवाद करते हुए आभार प्रकट किया।
इस पहल की बदौलत एक ही बार में 37 अधिकारियों को भारत सरकार के संयुक्त सचिव पद के पैनल में डाल दिया गया है और इसके परिणामस्वरूप अवस्थिति के आधार पर 27 अधिकारियों की संयुक्त सचिव स्तर पर पदोन्नति हुई है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उनका आभार स्वीकार करते हुए उन्हें बधाई दी और यह बात दोहराई कि श्री नरेन्द्र मोदी सरकार शासन को आसान बनाने एवं अधिकारियों के लिए कामकाज के माहौल को अनुकूल बनाने के प्रति कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि सरकार पदोन्नति और पैनल बनाने के कार्य में बेवजह होने वाले विलम्ब को समाप्त करने के पक्ष में है, ताकि अधिकारीगण पूरे उत्साह एवं सकारात्मक सोच के साथ काम कर सकें।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि समय गुजरने के साथ ही अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है, क्योंकि जहां एक ओर उनसे काफी अपेक्षाएं हैं, वहीं दूसरी ओर आम जनता के साथ-साथ मीडिया की ओर से कामकाज पर नजर रखने की प्रवृत्ति भी बढ़ गई है। हालांकि, इस बदलते परिदृश्य पर असंतोष व्यक्त करने के बजाय हमें इसके अनुसार खुद को ढालने की कोशिश करनी चाहिए और अपनी ओर से सर्वोत्तम कार्य करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर ही मुख्य रूप से जोर दिया जा रहा है।
इस बीच, अधिकारियों पर बढ़ते दबाव की समस्या से निपटने के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने हाल ही में अनेक नये कदम उठाए हैं, जिनमें पहली अप्रैल से देशभर में फैले अधिकारियों के लिए हर दिन नियमित रूप से ‘योग’ करना भी शामिल है। इसी तरह डीओपीटी देश की राजधानी में प्रतिनियुक्ति पर आने वाले आईएएस अधिकारियों को उपलब्ध सुविधाएं बेहतर करने के लिए विभिन्न कदम उठाने पर भी विचार करेगा, ताकि वे परिवहन सुविधा, स्कूलों में अपने बच्चों के प्रवेश इत्यादि को लेकर नुकसान में न रहें।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा पहली जुलाई को लांच किया गया ‘डिजिटल इंडिया सप्ताह’ भी शासन को आसान बनाने और अधिकारियों पर फाइल संबंधी कार्यों का दबाव घटाने के साथ-साथ आम नागरिक को बेवजह होने वाली देरी अथवा परेशानी से बचाने की दिशा में एक कदम है।