देहरादून: सचिवालय में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री हरीश रावत और केन्द्रीय जल संसाधन नदी विकास तथा गंगा पुनरूद्वार मंत्री उमा भारती के समक्ष चारधाम यात्रा मार्ग के संबंध में प्रस्तुतीकरण किया गया। प्रस्तुतीकरण के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्ग के तहत आने वाले चारधाम यात्रा मार्ग के लिए प्रस्तावित टू लेन सड़क मार्ग, मरम्मत कार्य व अन्य विकल्पों के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया गया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड आपदा के दृष्टिगत संवेदनशील राज्य है। चारधाम यात्रा राज्य के पर्यटन व्यवसाय से जुड़ा हुआ है, इसलिए चारधाम यात्रा मार्ग पर प्राथमिकता के तौर पर सबसे पहले मरम्मत कार्य शुरू किये जाय। साथ ही जिन स्थानों पर लैंड स्लाइडिंग अधिक होने की संभावना है, उसका भी समाधान निकाला जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय दो बिन्दुओं पर प्राथमिकता से कार्य करे, एक तो लाॅग टर्म योजना तैयार करे, दूसरा शाॅर्ट टर्म योजना तैयार करे। यात्रा मार्ग को बेहतर बनाने के लिए टनल, एलीवेटिट सड़क मार्ग, बाईपास सड़क आदि विकल्पों पर विचार कर कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जाय। अर्द्ध कुम्भ मेला को देखते हुए 4 लेन के बजाय पहले दो लेन पर ही कार्य किया जाय। ताकि हरिद्वार शहर को जोड़ने वाले सड़क मार्ग को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके। जहां-जहां पर मरम्मत होनी है, वहां पर त्वरित कार्य शुरू किया जाय। अर्द्धकुम्भ के समय यातायात व्यवस्था सुगम हो, इसके लिए जरूरी है कि सड़क मार्ग के कार्य प्राथमिकता पर पूरे किये जाय। उन्होने रोशनाबाद बिहारीगढ़ राजमार्ग को एनएच के अधीन लेने की भी बात कही। मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिये कि सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक मार्ग को शीर्ष प्राथमिकता पर शुरू किया जाय। इसके अलावा जोशीमठ से बद्रीनाथ सड़क मार्ग के लिए भी विशेष योजना तैयार की जाय। सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक सिंगल लेन का सड़क मार्ग बनाया जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जो कार्ययोजना तैयार की जा रही है, उसमें स्थानीय हितों का भी ध्यान रखा जाय। किसी भी प्रस्तावित सड़क मार्ग से स्थानीय उद्योग, पर्यटन व खेती को कम से कम नुकसान हो। ऋषिकेश से बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिन स्थानों पर अधिक भूस्खलन होता है, वहां पर सुरक्षा दीवार आदि कार्य किये जाय। साथ ही ऐसे स्थानों पर उच्च क्षमता की मशीने भी रखी जाय। हर्षिल और गंगोत्री में भी विशेष फोकस किया जाय। चारधाम यात्रा मार्ग पर प्रस्तावित कार्ययोजना में तेजी लाने के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा एक नोडल अधिकारी नामित किया जायेगा, जो वन भूमि संबंधी एवं अन्य प्रकरणों पर जल्द से जल्द स्वीकृति दिलाने में केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सहयोग प्रदान करेगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा तैयार किये गये प्रस्तुतीकरण को मुख्यमंत्री श्री रावत ने देखा और कुछ बिन्दुओं पर सुझाव भी दिये। प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि जोशीमठ से बद्रीनाथ सड़क मार्ग बेनाकुली के पास भी काफी खराब हो गया है, इसका भी शीघ्र समाधान किया जाय। त्वरित तौर पर वहां से मलबा हटाने की व्यवस्था के साथ ही कोई वैकल्पिक मार्ग भी तैयार किया जाय। इसी प्रकार से पाण्डुकेश्वर के आगे भी सड़क मार्ग काफी खराब है, इसके लिए भी कोई योजना तैयार की जाय। पाण्डुकेश्वर के पास नदी कटाव से सड़क कट रही है, इसलिए एन.एच. सुरक्षा दीवार संबंधी कार्य भी करे। मुख्यमंत्री ने सचिव सिंचाई को निर्देश दिये कि खैरोगंगा के संबंध में प्रस्ताव तैयार जल संसाधन मंत्रालय को भेजा जाय। बद्रीनाथ में एक अतिरिक्त ब्रिज भी बनाया जाय। रूद्रप्रयाग से गौरीकुंड सड़क मार्ग पर कुंड व तिलवाड़ा के संबंध में सिंचाई विभाग के साथ नदी के बदलते जल धारा प्रवाह के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाय। उसी अनुसार वैकल्पिक मार्ग की डिजाइन तैयार की जाय।
केन्द्रीय जल संसाधन नदी विकास तथा गंगा पुनरूद्वार मंत्री उमा भारती ने कहा कि यह कार्ययोजना चारधाम यात्रा के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों से कहा कि नेशनल मिशन आफ क्लीन गंगा मिशन के तहत अब से जो भी कार्ययोजना तैयार हो, उसमें यह भी प्रस्ताव रखा जाय कि गंगा नदी के किनारे बनने वाली सड़क के किनारे मेडिसनल प्लांट लगाये जायेंगे। साथ ही उत्तराखण्ड में तीर्थाटन और पर्यटन को देखते हुए बद्रीनाथ और केदारनाथ तक पहुंचने के लिए कुछ अन्य विकल्पों पर विचार किया जाय। इसके लिए नये रूटों को भी चिन्हित किया जाय।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के चीफ इंजीनियर ए.के.श्रीवास्तव द्वारा पूरी कार्ययोजना के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया गया। उन्होंने बताया कि राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के पास 2967 कि.मी. सड़क मार्ग है। 21 राष्ट्रीय राजमार्ग है। राज्य लोक निर्माण विभाग के पास लगभग 1807 किमी. सड़क मार्ग है, जबकि 429 कि.मी. सड़क मार्ग बी.आर.ओ. के पास है। श्री श्रीवास्तव द्वारा बताया गया कि चारधाम यात्रा मार्ग पर प्रस्तावित कार्ययोजना के तहत एन.एच.-58 ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग के लिए कुल 2073.65 करोड़ रुपये, एन.एच.-58 ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग के लिए 1329.37 करोड़ रुपये, रूद्रप्रयाग से गौरीकुण्ड के लिए 754.08 करोड़ रुपये, एन.एच.-94 ऋषिकेश-धरासू-यमुनोत्री के लिए 1320.53 करोड़ रुपये, धरासू से यमुनोत्री मार्ग पर टनल व ब्रिज हेतु 1751.65 करोड़ रुपये, एन.एच.-108 धरासू से गंगोत्री के लिए 1979.45 करोड ़ रुपये तथा एन.एच.-125 टनकपुर से पिथौरागढ़ के लिए 1408.33 करोड़ रुपये लागत की धनराशि व्यय होगी। इस प्रकार इस पूरी परियोजना पर 889 कि.मी. सड़क निर्माण पर लगभग 11697.317 करोड़ रुपये व्यय होगा।
बैठक में विधायक बद्रीनाथ राजेन्द्र भण्डारी, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव एस.रामास्वामी, अपर सचिव लोनिवि अरविन्द ह्यांकी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी टी.टी.नेगी, पी.के.मौर्य, अभिजीत कुमार सहित लोनिवि, वन आदि विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।