नई दिल्ली: ऑयल इंडिया लिमिटेड तेल और गैस क्षेत्र का एक प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है। इसने अपने भंडार आधार को बढ़ाने और अपने पुराने हो चुके तेल क्षेत्रों से अधिक से अधिक रिकवरी करने के उद्देश्य से अमेरिका के ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह विश्वविद्यालय दुनिया में तेल और गैस के क्षेत्र में एक शीर्ष विश्वविद्यालय है। इस समझौता ज्ञापन पर आज नई दिल्ली में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धर्मेन्द्र प्रधान की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
इस समझौता ज्ञापन में अन्य बातों के अलावा पुराने हो चुके तेल क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ाने के लिए तेल रिकवरी में सुधार करने और तेल रिकवरी में बढ़ोत्तरी करने, भूकंप विवेचना और भंडारण लक्षण अध्ययन, ड्रिलिंग में सुधार और बेहतर प्रयास प्रक्रियाओं के साथ-साथ अपरंपरागत हाइड्रोकार्बन अध्ययनों के क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह उम्मीद है कि इस सहयोग से कंपनी के देश में ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में दिए जा रहे महत्वपूर्ण योगदान और उत्पादन में सुधार करने की दिशा में कंपनी की विभिन्न पहलों को और मजबूत तथा उन्नत बनाने के लिए आयल इंडिया लिमिटेड को मदद मिलेगी। इससे 2022 तक तेल और गैस की आयात पर निर्भरता 10% घटाने के लिए माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय दायित्व में सहायता भी मिलेगी।
संयुक्त राज्य अमेरिका की ऊर्जा राजधानी शीर्ष तेल और गैस कंपनियों और सेवा प्रदाताओं का घर है। यहां स्थित ह्यूस्टन विश्वविद्यालय एक प्रमुख संस्थान है जो अपने उत्कृष्ट संकाय और अनुसंधान स्टाफ की सहायता से तेल और गैस के क्षेत्र में शैक्षिक और अन्य विशिष्ट क्षेत्रों के अनुसंधान कार्यों में संलग्न है। इसने जाने-माने शिक्षाविदों और उद्योग विषय से संबंधित विशेषज्ञों के साथ साझेदारी स्थापित की है।
इस समझौता ज्ञापन को ऐतिहासिक बताते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह छोटी सी घटना अन्वेषण के क्षेत्र में व्यापक प्रभाव लाएगी। उन्होंने कहा कि नवाचार, वैज्ञानिक स्वभाव और संस्थागत तालमेल तेल और गैस क्षेत्र के विकास मार्ग को प्रशस्त करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत करने वाला देश है। लेकिन कच्चे तेल के लिए आयात पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि भारत एक महत्वाकांक्षी समाज है जो बहुत तेजी से विकास के लिए आगे बढ़ने के लिए बाध्य है। आयात केंद्रित तंत्र हमारी चुनौतियों से निपटने में मदद नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि हमें एक पारिस्थितिकी तंत्र का सृजन करना होगा ताकि नवाचारों, सुधारों की शुरुआत की जा सके। श्री प्रधान ने कहा कि अगर इच्छा शक्ति है, अच्छी रणनीति है और अभिनव प्रौद्योगिकी है तो एक अच्छा पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सकता है जो तेल क्षेत्रों से तेल की बेहतर रिकवरी प्राप्त करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि देश में बौद्धिक प्रतिभा या अच्छे संस्थानों की कोई कमी नहीं है, बल्कि देश के विकास के लिए इनका दोहन किये जाने की जरूरत है।