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मुख्यमंत्री 29 अक्टूबर को करेंगे कन्या भ्रूणहत्या और महिला अपराधों के विरुद्ध राष्ट्रीय अभियान ‘मुझे जीने दो’ का शुभारंभ

उत्तराखंड

हल्द्वानी/देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत इस पर्वतीय राज्य और देश के दूसरे हिस्सों में बढ़ती कन्या भ्रूणहत्या और महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते अपराधों के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान ‘मुझे जीने दो’ का शुभारंभ 29 अक्टूबर, 2015 को गदरपुर, उधमसिंह नगर में करेंगे।महिला कल्याण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन वूमेंस एसोसिएशन फाॅर ट्रेनिंग, इंपावरमेंट एंड रीसेटलमेंट (वाटर) की पहल पर ‘मुझे जीने दो’ अभियान आरंभ में सिडकुल के सहयोग से पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में शुरू किया जाएगा।
वूमेंस एसोसिएशन फाॅर ट्रेनिंग, इंपावरमेंट एंड रीसेटलमेंट (वाटर) की अध्यक्ष और उत्तराखंड कांग्रेस की महासचिव सुश्री शिल्पी अरोड़ा ने कहा, “आजादी के छह दशक से अधिक गुजरने के बाद भी कन्याओं से भेदभाव, कन्या भ्रूणहत्या, लड़की होने के कारण गर्भपात और महिलाओं के विरुद्ध अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। अंधाधुंध कन्या भ्रूणहत्या के कारण हर साल करीब दस लाख लड़कियां मारी जाती हैं। इससे महिला-पुरुष लिंगानुपात में अंतर जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं। यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार 2011 में भारत में 1000 पुरुषों पर 919 महिलाएं थीं। इसके अलावा 80 प्रतिषत भारतीय जिलों में लिंगानुपात में गिरावट आई है और पंजाब में यह सबसे ज्यादा है। उत्तराखंड में भी यह बढ़ रहा है।”
सुश्री अरोड़ा ने कहा, “गदरपुर में ‘मुझे जीने दो’ की शुरुआत के समय उधम सिंह नगर और पड़ोसी शहरों से करीब 10,000 युवाओं, युगलों और लड़कियों के हिस्सा लेने और कन्या भ्रूणहत्या, लिंगभेद, यौन अपराध तथा महिलाओं एवं लड़कियों के साथ अत्याचारों पर अंकुश लगाने के लिए जागरूकता फैलाने की उम्मीद है।”
उन्होंने कहा, “सिडकुल द्वारा प्रायोजित चैरिटी शो, जिसमें कन्या भ्रूण हत्या, बाल अपराध, अत्याचार तथा घरेलू हिंसा पर लघु फिल्म दिखाई जाएगी, कुमाऊंनी एवं गढ़वाली लोकनृत्य और प्रमुख मुद्दों पर गायन के कार्यक्रम तथा पांच, 10 और 15 साल के आयु वर्ग में 20-20 स्कूली लड़कियों के समूह द्वारा रैंप वाॅक ‘मुझे जीने दो’ अभियान के प्रमुख आकर्शण होंगे। प्रतिभागी सामाजिक संदेश ले जाएंगे। प्रसिद्ध पंजाबी गायक अशोक मस्ती समेत जानी-मानी हस्तियों और कलाकारों का शो होगा, इंडिया गाॅट टैलेंट सीजन फाइव से मशहूर बीट बेकर्स, बालिका वधू की स्मिता बंसल, ससुराल सिमर का की जयंति भाटिया और वाॅयस आॅफ इंडिया 2015 के विजेता पवनदीप राजन समेत मशहूर टीवी हस्तियों के गीत और नृत्य कार्यक्रम होंगे।”
उन्होंने यह भी बताया, “इस अवसर पर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और डाॅ. हरक सिंह रावत, उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, एआईसीसी सविच संजय कपूर और प्रकाश जोशी और प्रमुख स्थानीय नेता तथा नागरिक उपस्थित होंगे।”
सुश्री अरोड़ा ने कहा, “2011 की जनगणना के अनुसार भारत में बाल लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 919 लड़कियों तक गिर गया है, जो पिछले दशक में 1000 लड़कों पर 927 लड़कियां था। भारत के सबसे धनी राज्यों में शुमार हरियाणा में लिंगानुपात सबसे अधिक बिगड़ा है। इस मामले में पंजाब, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड भी पिछड़े हुए हैं।”
उन्होंने कहा, “इसी प्रकार महिलाओं के विरुद्ध हिंसा थामने के लिए संसद में सांसदों के बीच सक्रिय चर्चा, जागरूकता अभियानों एवं अन्य उपायों के बावजूद 2014 में तस्वीर उतनी ही धुंधली है। आप महिला हैं तो आप गांव में हों या शहर में, घर पर हों या परिवार से दूर अनजाने शहर में, दफ्तर में काम करती हों या घर संभालती हों, यौन हिंसा का डर लगातार बना रहता है और हालत ज्यादा बिगड़ रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो के हालिया आंकड़ों के अनुसार पिछले दस सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराध दोगुने से अधिक हो गए हैं।”
उन्होंने यह भी कहा, “पिछले दशक के आंकड़ों पर आधारित इंडियास्पेंड का विश्लेषण बताता है कि महिलाओं के विरुद्ध अपराध के 22.4 लाख मामले दर्ज किए गए यानी हर घंटे में 26 या हर दो मिनट पर एक शिकायत दर्ज की गई। ‘महिला अपराध’ की परिभाषा महिलाओं के साथ प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष शारीरिक अथवा मानसिक प्रताड़ना है। केवल महिलाओं को शिकार बनाने वाले अपराधों को ‘महिलाओं के विरुद्ध अपराध’ कहा जाता है।”
सुश्री अरोड़ा ने कहा, “विडंबना है कि कन्या भ्रूणहत्या ऐसे देष में होती है, जहां महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है, महिलाओं को मां लक्ष्मी का अवतार कहा जाता है और छोटी बच्चियों के पैर छूकर लोग उनका आशीर्वाद लेते हैं। फिर भी जानबूझकर कन्या षिशु की हत्या की जाती है। हमारे समाज का यह दोगलापन है। शिक्षा, स्वास्थ्य और सशक्तिकरण प्रत्येक भारतीय महिला का मौलिक अधिकार है। कन्या भ्रूण हत्या का भयानक अवैध चलन सख्त कानूनों और लोगों की मानसिकता में बदलाव के जरिये रोकना ही होगा। बेहतर कल के लिए कन्याओं की रक्षा कीजिए।”

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