देश में जीव-जंतु कल्याण एवं संरक्षण के लिए काम करने वाली शीर्ष संस्था भारतीय जंतु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) ने जीव जन्तु कल्याण के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों, संगठनों और कॉरपोरेट्स को वर्ष 2021 के लिए 14 प्राणी मित्र और जीवदया पुरस्कार प्रदान किए।
भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशु पालन एवं डेयरी विकास मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने एक समारोह में ये पुरस्कार प्रदान किए और बसंत पंचमी के पावन दिन देश के सभी पशुप्रेमियों को अपनी शुभकामनाएं दीं ।
श्री सिंह ने पुरस्कार विजेताओं को जीव जंतु कल्याण के क्षेत्र में निस्वार्थ सेवा करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि लोगों और संगठनों को इस प्रकार के पुरस्कार दिए जाने से ज्यादा से ज्यादा आम लोगों को जीव-जंतुओं का संरक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारी मातृभूमि के महान दर्शन का तात्पर्य यह है कि इस भूमि पर रहने वाले एक साथ रहें, खुश रहें, स्वस्थ और समृद्ध रहें। उन्होंने कहा कि एडब्ल्यूबीआई, जीव-जंतु कल्याण संगठन और देश के पशुप्रेमी चींटी से लेकर हाथी तक सभी जीव-जंतुओं के कल्याण के प्रति चिंतित हैं और जीव-जंतुओं के खिलाफ होने वाली क्रूरता की रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं। श्री सिंह ने उन गौशालाओं की भी प्रशंसा की जो हजारों गायों की सेवाभाव से देखभाल करती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए नवोन्मेषी विचारों और प्रौद्योगिकियों को आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समय की जरूरत है कि आम जनता में जीव-जंतुओं के प्रति सहानुभूति, दयालुता और उनके कल्याण के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ-साथ मौजूदा कानूनों और नियमों के अनुरूप पशुओं के खिलाफ क्रूरता पर रोक लगाने के कदम उठाए जाएं।
इस अवसर पर प्राणी मित्र और जीव दया पुरस्कार जिन व्यक्तियों और संगठनों को दिए गए उनकी सूची इस प्रकार है-
- प्राणी मित्र पुरस्कारः श्री योगेंद्र कुमार, नई दिल्ली, श्री मनीष सक्सेना, जयपुर, राजस्थान और श्री श्यामलाल चौबीसा, उदयपुर, राजस्थान।
- प्राणी मित्र पुरस्कार शौर्यः श्री अनिल गणदास, गुरुग्राम, हरियाणा, स्वर्गीय श्रीमती कल्पना वासुदेवन, कोयम्बटूर, तमिलनाडु।
- प्राणी मित्र पुरस्कारः ताउम्र पशु सेवा- मेजर जनरल(सेवानिवृत्त) डॉ. आर. एम. खरब, एवीएसएम, गुरुग्राम, हरियाणा, डॉ. एस. चिन्नी कृष्णा, चेन्नई, तमिलनाडु और डॉ. एस.आर. सुंदरम्, चेन्नई, तमिलनाडु।
- प्राणी मित्र पुरस्कारः जीव-जंतु कल्याण संगठन -वर्ल्ड संकीर्तन टूर ट्रस्ट, होडल, हरियाणा, श्री करुणा फाउंडेशन ट्रस्ट, राजकोट, गुजरात और पीपल फॉर एनीमल्स अहमदाबाद, गुजरात।
- प्राणी मित्र पुरस्कारः कॉरपोरेट-टाटा ट्रस्ट फाउडेशन, मुंबई, महाराष्ट्र।
- जीव दया पुरस्कारः जीव-जंतु कल्याण संगठन- ध्यान फाउंडेशन, नई दिल्ली और एनीमल एड चेरीटेबल ट्रस्ट, उदयपुर, राजस्थान।
भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशु पालन और डेरी विकास मंत्रालय में सचिव श्री अतुल चतुर्वेदी ने इस पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जीव-जंतु कल्याण का विषय बहुत महत्वपूर्ण है और मानव-पशु संघर्ष के संदर्भ में यह और भी प्रासंगिक हो गया है। श्री चतुर्वेदी ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और उम्मीद जताई कि इन पुरस्कारों से लोगों और संगठनों को जीव-जंतु कल्याण के क्षेत्र में और अधिक काम करने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 51ए(जी) का उद्धरण देते हुए कहा, “यह भारत के नागरिकों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे प्राकृतिक वातावरण का संरक्षण करें और उसमें सुधार लाने के साथ-साथ सभी जीव-जंतुओं के प्रति सहानुभूति का भाव रखें।”
मंत्रालय के एनएलएम और एडब्ल्यू के संयुक्त सचिव और एडब्ल्यूबीआई के अध्यक्ष डॉ. ओ.पी. चौधरी ने कहा कि बहुत से लोग और जीव-जंतु कल्याण संगठन पशु कल्याण के कार्य में सराहनीय योगदान दे रहे हैं और हमारे पशु मित्रों को अनावश्यक कष्ट और अत्याचार से बचाने का काम कर उनका जीवन बचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देशभर में जीव-जंतुओं के कल्याण के उपायों में वृद्धि के लिए नए विचारों और नई पहलों को भी लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं और देशभर के पशुप्रेमियों का इस बात के लिए आभार व्यक्त किया कि उन्होंने इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर जीवदया और पशुओं के प्रति दयालुता के बहुत बड़े हिमायती थे। डॉ. चौधरी ने एडब्ल्यूबीआई की गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया और मानव पशु संघर्षों की घटनाओं में कमी लाने ,आवारा पशुओं की सेवा करने, आवारा कुत्तों की आबादी कम करने और रेबीज जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए हमारे मानद पशु कल्याण अधिकारियों, विभिन्न कॉलोनियों में पशुओं की देखभाल करने वाले लोगों और अन्य प्रमुख व्यक्तियों के योगदान की प्रशंसा की।
एडब्ल्यूबीआई के सदस्य श्री गिरीश जे. शाह और श्री रामकृष्ण रघुवंशी ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और जीव-जंतु कल्याण के क्षेत्र में अपने अनुभवों और विचारों को साझा किया। एडब्ल्यूबीआई के सदस्य प्रो. आर.एस. चौहान और केंसर विशेषज्ञ डॉ. अशोक कंवर ने भी इस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लिया और गोबर और गौमूत्र के चिकित्सकीय इस्तेमाल को लेकर अपने शोध के बारे में बताया। पुरस्कार विजेताओं ने भी अपने-अपने क्षेत्र में पशु कल्याण के लिए चलाई गई गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।