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राष्ट्रपति भवन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर स्त्री शक्ति पुरस्कार 2015 के वितरण समारोह के दौरान संबोधित करते हुए।

देश-विदेश

नई दिल्ली: मैं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में देश और विदेश की सभी महिलाओं को हार्दिक बधाई देता हूं। यह बहुत संतोष का विषय है कि

भारत में हम यह दिवस मनाते हुए महिलाओं और पुरूषों की शानदार उपलब्धियों का मान कर रहे हैं। नारी शक्ति पुरस्कार महिलाओं और संस्थानों द्वारा देश की महिलाओं के जीवन में सुधार करने के प्रयासों के लिए प्रदान किए जा रहे हैं।
हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि चाहे वे समाज के पुरूष हों या महिलाएं, उन सभी को सुरक्षा, शांति और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। आज के युग में भी महिलाओं को बर्बर आचरण और हिंसा का सामना करना पड़ता है, जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। हिंसा या भय से लोगों में और खासतौर से महिलाओं तथा बच्चों में विकास करने और आजादी के साथ जीने की भावना में कमी आ जाती है। इसके साथ ही हमारे समाज का पतन इसलिए भी होता है, क्योंकि हम महिलाओं के साथ कभी-कभी अमानवीय व्यवहार करने लगते हैं, जबकि हमें महिलाओं को सुरक्षा और उन्हें समान अधिकार देने चाहिए। आज के दिन हम सबको, सरकार को और सिविल सोसायटी को यह शपथ लेनी चाहिए कि हम अपनी माताओं और बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी, प्रशासनिक और अन्य उपायों का मिलकर विकास करेंगे।
मैं अकसर सुनता हूं कि महिलाओं को कुछ करने के लिए प्रायः अवसर या अनुमति नहीं मिलती। मैं महिलाओं से कहता हूं कि आप क्यों किसी का इंतजार करती हैं कि वह आपको कुछ दे। महिलाओं को शक्ति संपन्न बनाना बहुत जरूरी है। इसके लिए हमें अपनी मानसिकता दुरूस्त करनी होगी। लोगों को यह जानना चाहिए कि महिलाओं को घरों और कार्यस्थलों पर निडर और स्वतंत्र होकर काम करने का माहौल प्रदान करके समाज का ही हित होगा। समावेशी आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के लिए लैंगिक समानता की बहुत आवश्यकता होती है। इसके लिए आवश्यक है कि संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच बनाई जाए और उन्हें संसाधनों पर नियंत्रण करने का अधिकार दिया जाए। इसके साथ ही लड़कियों और महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और पोषण की भी बहुत अहमियत होती है। महिलाओं का स्वास्थ्य सुधार कर हम परिवारों और समुदायों में उनके योगदान को बढ़ा सकते हैं और इस तरह भावी पीढ़ियों के लिए नज़ीर पेश कर सकते हैं।
सरकार की नीतियों के प्रभावीशाली कार्यान्वयन के लिए सामुदायिक कार्यक्रमों की उपयोगिता इस बात से साबित होती है कि वे लोगों तक पहुंच बनाने के लिए बेहतरीन उपाय हैं। मुझे प्रसन्नता है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ग्राम पंचायत स्तर पर ‘विलेज कंवर्जन्स एंड फेसीलिटेशन सर्विसेज’ कार्यक्रम का विचार किया है। मैं विश्वास व्यक्त करता हूं कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम से कुपोषण, मातृ मृत्यु दर संबंधी समस्याओं को कामयाबी के साथ हल करने में सफलता मिलेगी और हमारे समाज की महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा।
हमारे जैसे विविधता वाले और बड़ी आबादी वाले देश में कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना एक बहुत विशाल कार्य है। बहरहाल, सरकार निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी संगठनों के साथ मिल कर बेहतर तरीके से इसे अंजाम दे सकती है। महिलाओं के विकास में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जमीनी स्तर पर शानदार काम हुआ है और इसे भारत सरकार की योजनाओं में अपनाया जाना चाहिए। महिलाओं के आमूल अधिकारिता के लिए काम करना बहुत जरूरी है। इसके लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया जाए। मुझे स्वामी विवेकानंद के शब्द याद आ रहे हैं। उन्होंने कहा था, ‘किसी राष्ट्र की प्रगति का मापदंड वहां महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार से निश्चित होता है।’ इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था, ‘सभी राष्ट्र महिलाओं को उचित सम्मान देने से ही महानता अर्जित करते हैं। कोई देश और राष्ट्र जहां महिलाओं का सम्मान नहीं होता, वे कभी महान नहीं बन सके और भविष्य में कभी महान नहीं बन पायेंगे।’
इन शब्दों के साथ मैं एक बार फिर नारी शक्ति पुरस्कार विजेताओं को तथा इस समारोह का आयोजन करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को बधाई देता हूं। मैं सम्मानित पुरस्कार विजेताओं के भावी प्रयासों और कार्यों की सफलता के लिए कामना करता हूं।

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