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चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन करें माता चंद्रघंटा की आराधना, जानें पूजा-विधि और मनोकामना मंत्र

अध्यात्म

नई दिल्लीः नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे अवतार देवी चंद्रघंटा की पूजा होती है. देवी के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. अपने मस्तक पर घंटे के आकार के अर्धचन्द्र को धारण करने के कारण मां ‘चंद्रघंटा’ नाम से पुकारी जाती हैं. अपने वाहन सिंह पर सवार मां का यह स्वरुप युद्ध और दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहता है. चंद्रघंटा को स्वर की देवी भी कहा जाता है. दिव्य रुपधारी माता चंद्रघंटा की दस भुजाएं हैं. मां के इन दस हाथों में ढाल, तलवार, खड्ग, त्रिशूल, धनुष, चक्र, पाश, गदा और बाणों से भरा तरकश है. मां चंद्रघंटा का मुखमंडल शांत, सात्विक, सौम्य, लेकिन सूर्य के समान तेज वाला है.इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चन्द्रमा भी सुशोभित है.

ऐसे करें पूजा…
मां को केसर और केवड़ा जल से स्नान करायें। मां को सुनहरे या भूरे रंग के वस्त्र पहनाएं और खुद भी इसी रंग के वस्त्र पहनें। केसर-दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं। मां को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पण करें। पंचामृत, चीनी व मिश्री का भोग लगाएं।

मां का आर्शीवाद पाने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करने से फायदा मिलेगा।

‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।’

मंगल की समस्याओं के निवारण के लिए आज क्या प्रयोग करें?

– अगर कुंडली में मंगल कमजोर है या मंगल दोष है तो आज की पूजा विशेष परिणाम दे सकती है.

– आज की पूजा लाल रंग के वस्त्र धारण करके करें.

– मां को लाल फूल , ताम्बे का सिक्का या ताम्बे की वस्तु और हलवा या मेवे का भोग लगाएं.

– पहले मां के मन्त्रों का जाप करें फिर मंगल के मूल मंत्र ‘ॐ अँ अंगारकाय नमः’ का जाप करें.

– मां को अर्पित किये गए ताम्बे के सिक्के को अपने पास रख लें.

– चाहें तो इस सिक्के में छेद करवाकर लाल धागे में गले में धारण कर लें.

मां की उपासना का मंत्र-

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।’

मां की उपासना का मंत्र-

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

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