देहरादून कृषि को मुनाफे की खेती बनाने के लिए इसमें निवेश किया जाना जरूरी है। नीति नियंताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौति यह है कि कैसे कृषि विकास दर को 4.5 प्रतिशत पर बनाए रखा जा सकता है।
ओएनजीसी कम्यूनिटी सेंटर में आयोजित ‘‘मुनाफे की खेती: विकल्प और उपाय’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि तकनीकी विकास के दौर में भी हम अपनी खेती को मुनाफे की खेती नहीं बना पाएं हैं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए निवेश की आवश्यकता है। इसके लिए अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किए गए थे। इनमें नेशनल हाॅर्टीकल्चर मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना आदि में केंद्र सरकार 90:10 के अनुपात में बजट आवंटन किया जा रहा था जिसे कि बदलकर 50:50 कर दिया गया है। अन्य राज्यों की तरह उत्तराखण्ड में भी भूमिगत जलस्तर नीचे जा रहा है। भूमि में माइका्रे न्यूट्रिएन्ट्स की कमी भी हो रही है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में कृषि उपकरणों में अनुदान अन्य राज्यो से अधिक दिया जा रहा है। साॅयल हेल्थ कार्ड का अभियान भी प्रारम्भ किया जा रहा है। किसानों के लिए पेंशन भी प्रारम्भ की गई है। मैदानी खेती को बढ़ाने के लिए पर्वतीय खेती को पुनरजीवित किए जाने की आवश्यकता है। जलसंरक्षण के लिए वाटर बोनस दिया जा रहा है। परम्परागत जैविक खेती के साथ ही बेमौसमी फलों व सब्जियों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि के साथ ही पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए दुग्ध सहकारी समितियों को 4 रूपए प्रति लीटर बोनस की व्यवस्था की गई है। इसका परिणाम भी देखने को मिला है। नैनीताल, उत्तरकाशी में दुग्ध उत्पादन बढ़ा है।
‘‘सोपान स्टेप’’ संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री डा. हरक सिंह रावत, विधायक फुरकान अहमद, हरवीर सिंह, केए बद्रीनाथ, सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।