लखनऊ: प्रदेश के कारागार मंत्री श्री बलवंत सिंह रामूवालिया की अध्यक्षता में कारागार विभाग की समीक्षा बैठक आज योजना भवन में आहूत की
गयी। बैठक को संबोधित करते हुए अपने निर्देश में कारागार मंत्री ने उपस्थित जेल अधीक्षकों को निर्देशित करते हुए कहा कि कारागारों में निरूद्ध बंदियों के पास नशीले पदार्थ, मोबाइल फोन व अन्य निषिद्ध वस्तुएं कदापि न पहॅंुचे। जिला प्रशासन द्वारा कारागार की तलाशी के दौरान निषिद्ध वस्तुएं बरामद कर ली जाती हेै, जिससे विभाग की छवि धूमिल होती है। तलाशी के दौरान किसी प्रकार की निषिद्ध वस्तु बरामद होती है तो सम्बन्धित अधिकारियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी।
प्रदेश की कारागारों में निरूद्ध बंदियों के पलायन को गंभीरता से लेते हुये श्री रामूवालिया ने कड़े निर्देश दिये कि यदि कारागार में पलायन की घटना घटित होती है तो कारागार के अधिकारी मुख्य रूप से उत्तरदायी होंगे। उन्होने कहा कि कारागार में निरूद्ध सभी बंदियों के साथ एक समान व्यवहार किया जाये। मुलाकात में भी पारदर्शिता अपनाई जाय। बंदियों को दिये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिये जाने हेतु निर्देशित किया ।
श्री रामूवालिया द्वारा प्रदेश की कारागारों में निरूद्ध बंदियों के पैरोल प्रकरण पर कारागार अधीक्षक व्यक्तिगत रूप से जिले के जिलाधिकारी/पुलिस अधीक्षक से सम्पर्क कर सकारात्मक एवं प्रभावी कार्यवाही कराए जाने के निर्देश दिये गये। प्रदेश की कारागारों में निरूद्व 70 वर्ष से अधिक आयु के बंदियों की रिहाई के संबंध में प्रभावी कार्यवाही किये जाने एवं आयु 70 वर्ष से कम किये जाने पर भी विचार किये जाने के निर्देश दिये । उन्होने संशोधित जेल मैनुअल यथाशीघ्र प्रख्यापित कराये जाने के निर्देश दिये।
प्रमुख सचिव कारागार श्री आर0के0 तिवारी ने अपने संबोधन में बताया कि कारागर मंत्री के मार्गदर्शन में कारागार विभाग मेे बंदियों के कल्याण एवं सुरक्षा संबंधी कई योजनायंे प्रचलित है, जिसमें प्रमुख रूप से ई- प्रिजिनिंग के अन्तर्गत समस्त कारागारों में अभिलेख एवं बंदियों के व्यक्तिगत विवरण का कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है, जिसके लिये शासन ने रू0 04 करोड़ 29 लाख का व्यय किया है। बंदियों के परिजनों द्वारा आॅन लाइन मुलाकात के लिये बुकिंग कराये जाने की व्यवस्था की जा रही है।
श्री तिवारी ने कहा कि कारागारों में पी0सी0ओ0 स्थापित किये जा रहे है, जिससे कारागारों में निरूद्व बंदी अपने परिजनों से निर्धारित शुक्ल जमा कर सप्ताह में 02 बार पांच-पांच मिनट हेतु बात कर सकेगें। उक्त हेतु 03 करोड़ 70 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। कारागारों में बंदियों /कारागार कर्मियों को शुद्व एवं परिशोधित पेय जल की सुविधा उपलब्ध कराये जाने हेतु धनराशि रू0 2.00 करोड़ में प्रथम चरण में 39 कारागारों में 3000/2000 लीटर क्षमता के आर0 ओ0 प्लान्ट लगाये जाने की कार्यवाही प्रचलित है। उन्होने कहा कि प्रदेश की कारागारों में निरूद्व माफिया, आतंकवादी एवं खतरनाक बंदियों द्वारा मोबाईल फोन के प्रयोग पर अंकुश लगाये जाने हेतु प्रथम चरण में प्रदेश की 10 कारागारों में धनराशि रू0 71.78 करोड़ से जैमर लगाये जाने की कार्यवाही प्रचलित है।
अपर पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक कारागार श्री डी0एस0 चैहान ने समीक्षा बैठक में उपस्थित विभिन्न जिलों से आये जेल अधीक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि कारागारों में निरूद्व बंदियों की सुविधा एवं सुरक्षा के दृष्टिगत उनको न्यायालय में वीडियो कान्फ्रेसिंग केे माध्यम से 10 जनपदों में प्रस्तुत किया जाना प्रारम्भ हो गया है। अन्य समस्त जनपदों की कारागारों व न्यायालयों में भी यह कार्य प्रगति पर है जो मार्च 2016 तक पूर्ण करा दिया जायेगा।
श्री चैहान ने कहा कि बंदियों के मानवाधिकारों के हनन के प्रकरणों की रोकथाम हेतु प्रदेश की 23 कारागारों में प्रथम चरण में धनराशि रू0 4.17 करोड़ से सी0सी0टी0वी0 इकाईयों की स्थापना कराई गयी है। शेष कारागारों में कार्यवाही प्रचलित है। शासन द्वारा स्वीकृत धनराशि रू0 40.00 लाख से 35 कारागारों मेटल डिटेक्शन सिस्टम की स्थापना की कार्यवाही प्रचलित। कारागारों की सुरक्षा एवं तलाशी व्यवस्था को सुदृढ़ किये जाने हेतु प्रथम चरण में 10 कारागारों में एफजी-1 पोल मेटल डिटेक्शन सिस्टम की स्थापना कराई गयी है। द्वितीय चरण में 20 कारागारों में धनराशि रू0 2.66 करोड़ से स्थापना का कार्य कराया जा रहा है।
इसके साथ ही महानिरीक्षक कारागार ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश की कारागारों की कुल बंदी क्षमता 52 हजार है तथा बंदियों की जनसंख्या 91 हजार, बंदी क्षमता बढ़ाने के लिये कारागार विहीन जनपदों में कारागारों का निर्माण, पुुरानी कारागारों के स्थान पर अधिक क्षमता की नई कारागारों का निर्माण तथा वर्तमान कारागारों में नई बैरकों का निर्माण कराया जा रहा है। जिला कारागार बागपत व कासगंज आगामी एक माह में प्रारम्भ की जायंेगी। बंदियों को उनकी मूल सुविधायें बिना किसी भेद-भाव के उपलब्ध कराना तथा उनकी मानवीय गरिमा बनाये रखने के साथ-साथ अपराधियों को न्यायालय की अपेक्षानुसार कारागार में निरूद्व रखना विभाग का उद्देश्य है।
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