ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) ने शुक्रवार को कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। ये देश जुलाई महीने से तेल उत्पादन में इजाफा करेंगे। ईरान ओपेक देशों के इस फैसले के खिलाफ था, जिसे सऊदी अरब में बाद में मना लिया और ईरान भी तेल उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए सहमत हो गया। कच्चे तेल की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने और आपूर्ति को सुचारू रूप से चलाने के लिए उपभोक्ता देशों ने ओपेक देशों पर तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए दबाव बनाया था। इसके बाद यह फैसला लिया गया है।
ओपेक से जुड़े दो सूत्रों ने बताया कि फैसला यह हुआ है कि ओपेक और रूस के नेतृत्व वाले साथी देश एक मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल के उत्पादन में इजाफा किया जाएगा। तेल उत्पादन में जो बढ़ोतरी की जा रही है, वह पूरे विश्व की आपूर्ति का एक फीसदी है। बता दें, ओपेक देशों के इस फैसला का असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ेगा। इस फैसले के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमत में कमी देखने को मिल सकती है।
वियना में चल रही उत्पादक देशों के संगठन ओपेक की बैठक में सऊदी अरब ने कच्चे तेल का उत्पादन रोजाना दस लाख बैरल बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। तेल आपूर्ति बढ़ाने का विरोध कर रहे ईरान को भी सऊदी अरब ने बैठक से कुछ देर पहले मना लिया। अमेरिका, चीन और भारत ने तेल उत्पादक देशों पर कच्चे तेल की सप्लाई बढा़ने के लिए दबाव बनाया था। इन देशों का कहना था कि तेल की कमी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है।
सऊदी अरब और रूस तेल उत्पादन बढ़ाने को लेकर पहले से तैयार थे, लेकिन ईरान ने इस फैसले की आलोचना की थी। ईरान इस फैसले के खिलाफ अमेरिका की वजह से था, अमेरिका ने ईरान पर निर्यात से संबंधित कई रोक लगा रखी है। ईरान ओपेक देशों में तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। ईरान ने मांग की थी कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तेल सप्लाई बढ़ाने की मांग को खारिज किया जाए। ईरान ने कहा था कि अमेरिका ने ईरान और वेनेजुएला पर रोक लगाकर तेल की कीमतों में इजाफा करने में भूमिका निभाई है।