नई दिल्ली: ऑपरेशन समुद्र सेतु के तहत ईरान में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए नौसेना का युद्ध पोत आईएनएस जलाश्व24 जून की शाम को बंदर अब्बास बंदरगाह के करीब पहुंच गया था। अगले दिन 25 जून को यह जहाज बदंरगाह पर आ गया। यहां सभी जरुरी चिकित्सा और सामानों की जांच के बाद 687 भारतीय नागरिक जहाज में सवार हुए।
ईरान में पारागमन के दौरान आईएनएस जलाश्व के चालक दल के सदस्यों ने भारतीय नागरिकों को वहां से निकाल कर ले जाने के लिए सभी जरुरी प्रारंभिक तैयारियां कीं। इसमें यात्रियों को जहाज में रखने के इंतजाम करना और उन जगहों संक्रमण मुक्त करना,यात्रियों को मास्क और अन्य जरुरी प्रसाधन उपलब्ध कराना तथा ईरान में भारतीय दूतावास की और से निर्धारित नियमों के अनुसार जहाज में इन यात्रियों को कमरे देने की व्यवस्था करना शामिल था।
जलाश्व की ओर से ईरानी अधिकारियों को भारतीय नौसेना द्वारा स्वेदश में निर्मित दो एयर इवैक्यूएशन पॉड भी सौंपे गए। यह एक तरह का पूरी तरह से सील किया हुआ पेशेंट ट्रांसफर कैप्स्यूल है। इसके उपयोग से राहत दल और पायलट को संक्रमण का खतरा खत्म हो जाता है।
जलाश्व में रहने के स्थान को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है। कोविड संक्रमण के प्रति सावधानी बरतते हुए यात्रियों के रहने के स्थान और उनके साथ लगातार संपर्क में आ सकने वाले चालक दल के सदस्यों के रहने की जगह को अलग अलग चिन्हित किया गया है।