कर्नाटक में सियासी संकट को लेकर राज्यसभा में सोमवार को विपक्ष एकजुट दिखा। विपक्षी दल सदन की शुरुआत होते ही केंद्र सरकार के विरोध में वेल में पहुंच गया और जमकर हंगामा किया। इस बीच सदन की कार्यवाही सुबह से शाम तीन बजे तक तीन बार स्थगित की गई। विरोध करने वालों में कांग्रेस, सपा, बसपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा शामिल रहे।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने सुबह नई दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने के बाद सदन की कार्यवाही शुरू की। इस दौरान कांग्रेस ने कर्नाटक का मुद्दा उठाते हुए विरोध में हंगामा शुरू कर दिया इस पर सभापति ने कहा कि कर्नाटक मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, दोनों पक्ष अदालत गए हैं इस लिए सदन में चर्चा नहीं हो सकती। नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत होने और सदन में शून्यकाल चलने देने की अपील की। लेकिन विपक्ष ने नहीं सुनी और सभापति को पहले शून्यकाल और फिर प्रश्नकाल की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
भोजनावकाश के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने सदन पटल पर मानव अधिकार संरक्षण संशोधन विधेयक 2019 पेश करवाया। गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय के विधेयक पेश करते ही कांग्रेस समेत अन्य दलों के सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। उपसभापति के बुलावे पर भाजपा सांसद प्रभात झा ने बोलना शुरू किया। इस बीच विपक्षी दल के सांसद वेल में नारेबाजी करते रहे।
डीएमके के त्रुचि शिवा ने प्वांइट ऑफ ऑर्डर उठाते हुए कहा महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन पहले सदन व्यवस्थित हो। उपसभापति ने भी कहा कि आप चर्चा करें और संशोधन रखें। उपसभापति ने माकपा के इलामारम करीम और तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक से विधेयक पर संशोधन प्रस्ताव पेश करने को कहा। करीम ने सदन में व्यवस्था न होने का हवाला देकर प्रस्ताव पेश करने में असमर्थता जताई। इस पर उपसभापति ने सदन की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए फिर स्थगित कर दी। न्यूज़ सोर्स अमर उजाला