नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने आज देश भर के कृषि विज्ञान केन्द्रों के अधिकारियों, वैज्ञानिकों और राज्य स्तर के सभी कृषि अधिकारियों से कहा है कि किया कि वे किसानों की आय बढ़ाने के लिए किसानों की हर संभव मदद करें। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने ये बात नई दिल्ली में 12 पहाड़ी और मैदानी राज्यों के कृषि विज्ञान केन्द्रों के अधिकारियों, वैज्ञानिकों और कृषि, पशुपालन, मछली पालन, बागवानी के राज्य स्तर के अधिकारियों और लाभार्थी किसानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई बातचीत में कही। तीन चरणों के इस वीडियो कांफ्रेंसिंग का पहला चरण 19 अक्तूबर को हुआ था जब कृषि मंत्री ने उत्तर भारत के 13 प्रदेशों के किसान विज्ञान केन्द्रों के अधिकारियों और किसानों को सम्बोधित किया था। वीडियो कांफ्रेंसिंग का दूसरा चरण 25 अक्तूबर को हुआ जिसमें दक्षिण भारत के 12 प्रदेशों के केवीके प्रतिनिधियों और किसानों ने हिस्सा लिया। यह पहला मौका है जब देश के किसी कृषि मंत्री ने केवीके के अधिकारियों, वैज्ञानिकों, राज्य स्तर के कृषि पशुपालन, मछलीपालन एवं बागवानी विभाग के अधिकारियों और लाभार्थी किसानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सीधा संवाद किया है।
श्री राधा मोहन सिंह के वीडियो कांफ्रेंसिंग में जिन राज्यों ने हिस्सा लिया उनके नाम हैं- असम, अरूणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने पहले आधे घंटे में अधिकारियों और किसानों के सामने अपनी बात रखी और बाद के आधे घंटे में उनके सवालों के जवाब दिए।
केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री ने इस मौके पर एक बार फिर किसानों से अपील की कि वे धान की कटाई के बाद खेतों में बचे पुवाल ना जलाएं क्योंकि यह पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता है। पुवाल का इस्तेमाल जैविक खाद, पेपर कार्ड बोर्ड उद्योग, मशरूम उत्पादन और पशुओं के चारे के रूप में किया जा सकता है।
श्री सिंह ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सिक्किम को प्रथम जैविक राज्य घोषित किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैसे तो हिमालयन क्षेत्र में जैविक खेती का प्रचलन है लेकिन जैविक खेती को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए सतत तकनीकी विकास की आवश्यकता है। आज जरूरत इस बात की है कि जैविक खेती को प्रोत्साहित कर पूरे विश्व के लिए जैविक उत्पाद उगाये जायें जिससे किसानों को अच्छी आमदनी हो सके।
श्री सिंह ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में सेब, नाशपाती, आलू-बुखारा, मालटा, संतरा, अखरोट, चेरी, स्ट्राबेरी के साथ अब किवी और जैतून की भी खेती की जा रही है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संस्थान इनके रखरखाव, प्रबंधन और उत्पादन पर काम कर रहे हैं। कश्मीर घाटी में उगायी जाने वाली केसर की मांग पूरी दुनिय़ा में है इसलिए केसर के व्यवसायियों को इसकी खेती की तरफ ध्यान देना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि सब्जियों और फलों को दुर्गम पहाड़ी इलाकों से मैदानी क्षेत्रों में तेजी से पहुंचाने के लिए यातायात का विकास किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में अदरक और हल्दी की खेती सफलता पूर्वक की जा रही है लेकिन इन्हें विश्व बाजार में स्थापित करने के लिए प्रसंस्करण तकनीकों से इनकी गुणवत्ता का विकास किया जाना चाहिए।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में मछली एवं शीतजल मात्सियकी के विकास पर सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सजावटी मछलियों का पालन, मत्स्य पालन आधारित पर्यटन पर का भी विकास हो रहा है और किसानों को चाहिए कि अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए इन्हें अपनाएं।
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