श्रम और रोजगार मंत्रालय ने वीवी गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान, नोएडा, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ), श्रम अनुसंधान संस्थानों के ब्रिक्स नेटवर्क और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन-आईएलओ के अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र (आईटीसी) के सहयोग से “ब्रिक्स और ग्लोबल साउथ में टमटम तथा प्लेटफॉर्म में काम करने के संदर्भ में रोजगार के नए स्वरूपों” विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का कल आयोजन किया।
अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का उद्देश्य रोजगार के नए स्वरूपों से संबंधित दो विशिष्ट क्षेत्रों पर चर्चा करना था; रोजगार के नए स्वरूपों को बढ़ावा देने के लिए टमटम और प्लेटफॉर्म में काम करने तथा रोजगार के नए स्वरूपों को बढ़ावा देने के लिए नीति पर्यावरण के अवसर और चुनौतियां। इन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर क्रॉस-कंट्री परिप्रेक्ष्य को समझने के लिए वेबिनार की परिकल्पना की गई थी।
वेबिनार का उद्घाटन श्री सुनील बर्थवाल, सचिव, श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया था। अपने उद्घाटन भाषण में, श्री बर्थवाल ने उल्लेख किया कि टमटम और प्लेटफॉर्म जैसे काम करने के नए स्वरूपों ने रोजगार के नए अवसर पैदा करने में सक्षम किया है, लेकिन साथ ही साथ सेवा शर्तों के संबंध में नई चुनौतियों, सामाजिक सुरक्षा लाभों का समग्रता, विवादों के समाधान के लिए उपयुक्त मंच, आदि को भी पैदा किया है। उन्होंने कहा कि देशों द्वारा इन उभरते मुद्दों को सुलझाने की आवश्यकता है ताकि सभी हितधारकों के लिए लाभ की स्थिति हो।
दक्षिण एशिया के लिए आईएलओ डीडब्ल्यूटी की निदेशक सुश्री डागमार वाल्टर ने अपने विशेष संबोधन में उल्लेख किया कि टमटम और प्लेटफॉर्म के कामकाज के संबंध में कर्मचारियों और स्वरोजगार तथा विभिन्न देशों के बीच की सीमाओं को धुंधला कर दिया है, जिसके समाधान की आवश्यकता है।
श्रम और रोजगार मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, डॉ. शशांक गोयल ने ‘रोजगार के नए स्वरूपों को बढ़ावा देने के लिए नीति पर्यावरण’ पर पैनल चर्चा की अध्यक्षता करते हुए कहा कि बाजार की ताकतें रोजगार के इन नए स्वरूपों को आकार दे रही हैं जिनमें टमटम और प्लेटफॉर्म में काम करने तथा सामाजिक सुरक्षा से संबंधित प्रमुख चिंताओं को दूर करने पर देशों को ध्यान केंद्रित करना पड़ सकता है। डॉ. उमा रानी,वरिष्ठ अर्थशास्त्री, आईएलओ ने ‘टमटम और प्लेटफॉर्म में काम करने की चुनौतियाँ और अवसर’ पर पैनल चर्चा की अध्यक्षता की तथा काम करने के इन नए स्वरूपों की रूपरेखा और चुनौतियों तथा अवसरों पर चर्चा की।