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यूनीसेफ के सहयोग से महिला सम्मान प्रकोष्ठ/वूमेन पाॅवर लाइन (1090) में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: किशोर न्याय अधिनियम-2015 व बच्चों से सम्बंधित प्रकरणों को हैंडल करने हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन उत्तर प्रदेश पुलिस महिला सम्मान प्रकोष्ठ/वूमेन पाॅवर लाइन (1090) द्वारा यूनीसेफ के सहयोग से होटल फारचून लखनऊ में पुलिस महानिदेशक (उ0प्र0) की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।

    प्रशिक्षण कार्यशाला का उददेश्य लखनऊ जनपद के 7 क्षेत्राधिकार के अन्र्तगत 22 थानो में नियुक्त बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों, सम्बंधित थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षको को जे0जे0 एक्ट 2015 के प्रावधनों व बच्चों सम्बंधित प्रकरणो का प्रशिक्षण प्रदान करना था।

    श्री ओ0पी0 सिंह, पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 ने उक्त अवसर पर बोलते हुए कहा कि पुलिस अधिकारियों को बच्चों से सम्बंिधत प्रकरणों में कार्यवाही में अत्याधिक संवेदनशीलता बरतनें की आवश्यकता है एवं वर्तमान के परिवेश में किशोरों के मुददे अहम है। उन्हांेने कहा कि वर्तमान समय में सभी स्टेकहोल्डरों का बच्चों सम्बन्धी प्रकरणों को नियमानुसार हैडल करने हेतु संवेदनशीलता का अभाव है। उक्त विषय पर पुलिस को प्रशिक्षण की आवश्यकता है। पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा महिलाओं व बच्चों से सम्बंधित पुलिस विभाग की यूनिटोंः वूमेन पाॅवर लाइन (1090), महिला सम्मान प्रकोष्ठ व डायल 100 को समन्वित तरीके से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।

    प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए आफताब मोहम्मद, बाल संरक्षण विशेषज्ञ-यूनीसेफ द्वारा थानों में नियुक्त सभी बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को सी0यू0जी0 नम्बर उपलब्ध कराने का सुझाव दिया, साथ ही उन्होने बालकों से सम्बंधित प्रकरणों पर पुलिस अधिकारियों को जनकारी प्रदान करने हेतु एक अलग हेल्प लाइन जारी करने का भी सुझाव दिया।

    श्री दीपक कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, लखनऊ ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेष किशोर पुलिस ईकाई लखनऊ के कार्यो का उल्लेख किया एवं सभी पुलिस अधिकारियों को बच्चों के विकास हेतु उचित वातावरण निर्माण में कार्य करने का आहवान किया।

    श्रीमती अंजू गुप्ता, अपर पुलिस महानिदेशक, वूमेन पाॅवर लाइन (1090)/महिला सम्मान प्रकोष्ठ द्वारा कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में कहा कि सभी पुलिस अधिकारियों को कानूनी दृष्टि से जे0जे0 एक्ट-2015 की समुचित जानकारी एवं तद्नुसार कार्य करना आवश्यक है।

    श्री जावेद अंसारी, स्टेट कन्सेलटेंट, यूनीसेफ द्वारा उ0प्र0 में किशोर न्याय अधिनियम-2015 के क्रियान्वयन की स्थिति व कार्यशाला के एजेडां व प्रक्रिया के बारे में बताया गया।

    प्रशिक्षण कार्यक्रम के ट्रेनर के रूप में नई दिल्ली से आए एडवोकेट अंनत अस्थाना द्वारा पुलिस अधिकारियों को विधि विरूद्ध कार्य करने वाले बालकों की देखरेख करने व हैडिल करने की प्रक्रिया को केस स्टडीज व ग्रुप वर्क के माध्यम से बताया गया।

    प्रशिक्षण कार्यक्रम में पुलिस को मिलने वाले अनाथ, लावारिस, गुमशुदा व त्यागे हुऐ बच्चों के बारे में प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रतिभागियों को जानकारी दी।

    विभिन्न थानों के एस0एच0ओ0 व बाल कल्याण अधिकारियों द्वारा बालकों सम्बंधित प्रकरणों में एफ0आई0आर0, विवेचना, पेशी, रिपाॅटिंग व दस्तावेजीकरण से सम्बंधित सवालों का जवाब एक्सपर्ट द्वारा दिया गया।

    कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक व पुलिस उपाधीक्षक वूमेंन पाॅवर लाइन (1090), श्री राहुल श्रीवास्तव पी0आर0ओ0 , डी0जी0पी0 कार्यालय, महिला सम्मान प्रकोष्ठ का स्टाफ, बाल कल्याण समिति व चाइल्डलाइन द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला का संचालन साधना सिंह, पुलिस उपाधीक्षक महिला सम्मान प्रकोष्ठ द्वारा किया गया।

जे0जे0 एक्ट-2015 के अन्र्तगत ‘‘पुलिस/विशेश किषोर पुलिस इकाई‘‘ निम्नलिखित भूमिका होगी।

    कानून से अवरोध की स्थिति में पाये गये बच्चों के संबंध में प्रविधानः

  • प्रथम सूचना रिर्पोट तभी पंजीकृत करेंगें जब अपराध जंघन्य हो या अपराध में वयस्को के साथ किशोर सम्मिलित हांे, अन्य सभी मामलो में अपराध की सूचना साधारण दैनिक डायरी में लिखेंगें।
  • बालक को हवालात में नहीं भेजेंगे।
  • बालक को हथकड़ी या जंजीर नहीं पहनायेंगें।
  • बालक पर किसी भी प्रकार के दबाव या बल का प्रयोग नहीं करेगा।
  • 24 घंटे के भीतर बालक को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा।

देखरेख व संरंक्षण की स्थिति में पाये गये बच्चों के संबंध में प्रविधानः

  • किसी भी बच्चे के गुमशुदा होने की जानकारी पर पुलिस तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करेंगें।
  • गुमशुदा बच्चे की फोटो प्राप्त कर निर्धारित पोर्टलों पर अपलोड करेगी व हर संभव स्थान पर प्रचार कर बच्चे को खोजेंगें।
  • यदि 4 माह के भीतर ऐसे बच्चों का पता नहीं लगाया जा सकेगा, ऐसी स्थिति में ये मामले ए0एच0टी0यू0 को हस्तांतरित किये जायेगें।
  • ऐसे बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष 24 घंटे के भीतर प्रस्तुत करेंगें।

    बच्चों के सभी मामलों मेंः

  • बच्चों से बातचीत के दौरान सादे कपड़ो में रहेंगें।
  • बच्चों के लिये कार्यरत् संस्थाओं के साथ समनवय स्थपित करेंगें।
  • सभी पुलिस थानों में विशोष किशोर पुलिस इकाई, बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों किशोर न्याय बोर्ड बाल कल्याण समिति, चाइल्डलाइन, बाल कल्याण अधिकारी, परिवीक्षा अधिकारी, अर्ध विधिक स्वंयसेवियों, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पंजीकृत स्वैच्छिक और गैर-सरकारी संगठनों का सम्पर्क विवरण मौजूद करायेंगें।

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