लखनऊ:सामाजिक दायित्वों के एक अहम हिस्से के रूप में एनटीपीसी हमेशा से ही प्रयासरत रहा है और अपने संयत्र के आसपास रहने वाले विभिन्न आयु वर्गों में महिलाओं के सशक्तिकरण सहित समाजिक कल्याण के कई कार्यक्रमों को पूरी तरह समर्थन और सहयोग कर रहा है,
कम्पनियों की सामाजिक दायित्वों (CSR) के एक हिस्से के रूप में, एनटीपीसी ने बालिकाओं से जुड़ी समस्याओं के कारणों का पता करने और उनका निस्तारण करने का प्रस्ताव रखा है जिसमें एनटीपीसी पावर स्टेशनों, पैन इंडिया के आसपास के क्षेत्रों में बालिकाओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है ताकि वे अपनी क्षमताओं को बढ़ा सकें और यह सुनिश्चित हो सके कि वे आने वाले भविष्य में एक सशक्त महिलाओं के रूप में विकसित हों. शुरुआती तौर पर,”बालिका सशक्तिकरण मिशन (जीईएम)” नामक एक कार्यक्रम जो कि दिनांक 21.05.2018 को विंध्याचल, सिंगरौली और रिहंद के आसपास के स्कूलों की बालिकाओं के लिए 4 सप्ताह की आवासीय कार्यशाला को क्रियान्वित करके लॉन्च किया है.
मिशन 10 से 12 साल तक की आयु वर्ग के बालिकाओं के लिए लक्षित है. बालिकाओं के माता-पिता की इच्छा और सहमति के आधार पर लड़कियों को उपरोक्त एनटीपीसी संयंत्र क्षेत्रों के आसपास स्थित स्कूलों से चुना गया है.
समग्र व्यक्तित्व विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के दौरान आयोजित इस कार्यशाला में भाग लेने वाली बालिकाओं को विशेष कक्षाओं /दर्जों के कार्यक्रमों से गुजरना होगा, जिसमें हिंदी और अंग्रेजी में बुनियादी संचार कौशल, बुनियादी गणित, स्वच्छता और पोषण, लिंग विविधता के मुद्दों, योग, खेल,सामूहिक गतिविधियों, फिल्म स्क्रीनिंग, साइबर सुरक्षा, संगीत, नृत्य, रंगमंच इत्यादि के बारे में जागरूकता शामिल होगी.
यह स्टेशनों के पड़ोसी क्षेत्रों से बालिकाओं के जीवन पर प्रभाव डालने के लिए एक बाहरी पहुंच कार्यक्रम है. इस अभ्यास को इन बच्चों को जीवन के विभिन्न पहलुओं के सामने उजागर करने, उनके संसार को विस्तारित करने, उन्हें जीवन कौशल के लिए शिक्षित और तैयार करने के लिए किया जा रहा है, जिससे उन्हें साइबर सुरक्षा, आत्मरक्षा आदि के माध्यम से शारीरिक सुरक्षा जैसे संभावित खतरों से अवगत कराया जा सके. इस महत्वपूर्ण समय पर, यह अतिआवश्यक है कि नई शिक्षा प्रणाली सामाजिक, भावनात्मक और सोच कौशल विकसित करने में उनका समर्थन करे. यह युवा दिमाग को अधिक अर्थपूर्ण और एक पूर्ण जीवन जीने में मदद करेगा. अपनी प्रतिभा और क्षमताओं को दिखाने में भी, ग्रामीण भारत में किसी परिवार में एक लड़की के जन्म के आस-पास की प्रचलित गलत धारणा को समय के साथ अवश्य ही दूर किया जा सकता है.