नई दिल्ली: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत की अध्यक्षता में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक का आज आयोजन हुआ। सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्णपाल गुर्जर, श्री रामदास अठावले और श्री रतन लाल कटारिया भी इस बैठक में उपस्थित थे। इस बैठक की कार्यसूची में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम की केंद्रीय क्षेत्र योजना (इस योजना को पहले बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए एकीकृत कार्यक्रम के रूप में जाना जाता था), शराब और मादक द्रव्यों से रोकथाम के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना सहायता (नशीली दवाओं के दुरुपयोग) और सामाजिक सुरक्षा के लिए ओबीसी / ईबीसी / डीएनटी के कौशल विकास के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना सहायता तथा अनुसूचित जातियों के लिए काम करने वाली स्वैच्छिक और अन्य संगठनों को अनुदान-सहायता योजना शामिल थी।
श्री गहलोत ने अपने संबोधन में सदस्यों को डीईपीडब्ल्यूडी और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 1992 से उनके मंत्रालय ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम की केंद्रीय क्षेत्र योजना (इस योजना को पहले बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए एकीकृत कार्यक्रम के रूप में जाना जाता था) लागू कर रखी है। इसके तहत वृद्धाश्रम / सतत देखभाल गृह / चलती-फिरती चिकित्सा इकाइयों को चलाने और रखरखाव करने के लिए अनुदान सहायता दी जाती है। यह सहायता राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन (पंजीकृत सोसायइटियों के माध्यम से), पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) / स्थानीय निकायों, गैर-सरकारी / स्वैच्छिक संगठनों जैसी कार्यान्वयन एजेंसियों को प्रदान की जाती है।
मंत्री ने कहा कि उनका मंत्रालय नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए नोडल मंत्रालय है। मंत्रालय नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम के सभी पहलुओं का समन्वय और निगरानी करता है। इनमें समस्या की सीमा, निवारक कार्रवाई, उपचार और नशा करने वालों के पुनर्वास, सूचना का प्रसार और जन जागरूकता भी शामिल हैं। मंत्रालय स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से नशा करने वालों की पहचान, उपचार और पुनर्वास के लिए समुदाय आधारित सेवाएं उपलब्ध कराता है।
श्री गहलोत ने सदस्यों को बताया कि ओबीसी / ईबीसी / डीएनटी के कौशल विकास के लिए सहायता की केंद्रीय क्षेत्र योजना 1998-99 से लागू की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य लक्षित समूह यानी ओबीसी / ईबीसी / डीएनटी की शैक्षिक और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाना है। ताकि इन वर्गों को अपनी आय के साधन जुटाने या किसी अन्य क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाया जा सके। इस योजना को 2017-18 में संशोधित किया गया था।
उन्होंने यह भी बताया कि उनके मंत्रालय ने अनुसूचित जातियों के लिए काम कर रहे स्वैच्छिक और अन्य संगठनों को अनुदान की केंद्रीय क्षेत्र योजना भी लागू की है। इसके तहत गैर-सरकारी संगठनों को अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए आवासीय, गैर-आवासीय स्कूलों या छात्रावासों से संबंधित परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। सदस्यों ने कार्यसूची में उल्लेखित योजनाओं के बारे में बहुमूल्य सुझाव दिए।
इस सलाहकार समिति की बैठक में भाग लेने वाले लोकसभा सांसदों में डॉ, उमेश जी जाधव, श्री नारायण स्वामी अबैया, श्री संतोख सिंह चौधरी और राज्यसभा सांसद प्रो. मनोज कुमार झा, श्री एल. हनुमंतैया, तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में सचिव श्री दीपक खांडेकर, सचिव डीईपीडब्ल्यूडी शकुंतला डी. गैमलिन तथा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।