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दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों के लिए राजभाषा पुरस्‍कार समारोह का आयोजन

देश-विदेश

नई दिल्ली: कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी, साउथ कलमश्शेरी, कोच्चि में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों के लिए संयुक्‍त क्षेत्रीय राजभाषा सम्‍मेलन एवं पुरस्‍कार वितरण समारोह वर्ष 2018-19 का आज आयोजन किया गया। सम्‍मेलन में केरल के माननीय राज्‍यपाल श्री पलनिसामी सदाशिवम के कर-कमलों से पुरस्‍कार विजेताओं को पुरस्‍कार प्रदान किए गए।

इस मौके पर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नालॉजी सेमिनार काम्‍प्‍लेक्‍स, साउथ कलमश्शेरी, के वाइस चासंलर डॉ. आर. शशिधरन, राजभाषा विभाग के सचिव श्री शैलेश, संयुक्‍त सचिव डॉ. बिपिन बिहारी तथा बीएसएनएल के प्रधान महाप्रबंधक तथा कोच्चि नगर राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति (नराकास) के अध्‍यक्ष डॉ. के फ्रांसिस जेकब सहित केंद्र सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों/उपक्रमों आदि के अधिकारी उपस्थित रहे।

समारोह में अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए माननीय राज्‍यपाल श्री पलनिसामी सदाशिवम ने कहा कि हिंदी हमेशा से भारत की एकता को सुदृढ़ करने का सशक्त माध्यम रही है और राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी का योगदान हिंदी भाषा के उत्‍थान में अभूतपूर्व रहा है। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हिंदी को इसके सरलतम रूप में अपना कर संघ के राजकीय कामकाज में ज़्यादा-से-ज़्यादा प्रयोग में लाया जाए। उन्होंने आगे कहा कि सभी भारतीय भाषाएँ बहुत ही समृद्ध हैं और ये भारत की सांस्कृतिक विविधता का संवर्धन करती हैंI उन्होंने सभी क्षेत्रीय भाषाओं को देश की सभ्यता और संस्कृति का पोषक बताते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं का विकास, प्रचार एवं प्रसार हिंदी के लिए संजीवनी शक्ति हैI

श्री पलनिसामी ने यह भी कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि हिंदी को उसके वर्तमान स्‍वरूप तक पहुंचाने में देश के दक्षिणी प्रदेशों के महानुभावों ने महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। इस कड़ी में आंध्र प्रदेश के डॉ. पट्टाभि सीतारमैया का नाम आधुनिक भारत के इतिहास में अनन्य हिंदी प्रेमी के रूप में उल्लेखनीय है एवं आंध्र प्रदेश के ही डॉ. मोटूरी सत्यनारायण- दक्षिण भारत में हिंदी प्रचार आन्दोलन के संगठक और हिन्दी के प्रचार-प्रसार के युग-पुरुष थे।

श्री पलनिसामी सदाशिवम ने कहा कि संविधान ने हम सब पर राजभाषा हिंदी के विकास और प्रयोग-प्रसार का दायित्‍व सौंपा है। संविधान के अनुच्‍छेद 351 के अनुसरण में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचलित एवं लोकप्रिय शब्‍दों को ग्रहण करके हिंदी के शब्‍द भंडार को निरंतर समृद्ध करने का दायित्व हम सभी का है।

यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नालॉजी, साउथ कलमश्शेरी, के वाइस चासंलर डॉ. आर. शशिधरन ने समारोह में अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि हिंदी भारत की राजकाज की भाषा है साथ ही पूरे विश्‍व में हिंदी में कार्य करने वाले मौजूद हैं। उन्‍होंने अबू धाबी सरकार के हाल के निर्णय पर खुशी जाहिर की जिसके अंतर्गत हिंदी भाषा को अबू धाबी के सरकारी कार्य की तीसरी आधिकारिक भाषा बनाया गया है।

कार्यक्रम में राजभाषा हिंदी की महत्‍ता बताते हुए राजभाषा विभाग के सचिव श्री शैलेश ने कहा कि देश भर में स्थित केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों एवं कार्यालयों आदि में सरकार की राजभाषा नीति का अनुपालन तथा सरकारी काम-काज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने में राजभाषा विभाग की अहम भूमिका है। विभाग द्वारा हाल ही में आयोजित किए गए विभिन्‍न तकनीकी और क्षेत्रीय सम्मेलनों में बढ़ती हुई भागीदारी इस बात को दर्शाती है कि देश के सभी क्षेत्रों में हिंदी के प्रयोग में रुचि बढ़ रही है। उनका कहना था कि किसी भी देश की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्‍कृतिक प्रगति में उस देश की भाषा का अहम योगदान होता है। कोई भी भाषा या बोली सिर्फ विचारों की वाहिका ही नहीं होती, अपितु राष्ट्र की संस्कृति, सभ्यता व संस्कारों के निर्माण का महत्वपूर्ण साधन भी होती हैI श्री शैलेश का कहना था कि हमारी सभी भाषाएं और बोलियां हमारी धरोहर हैं और इन्हें बढ़ावा देना हर भारतीय का कर्तव्‍य है। श्री शैलेश ने यह भी कहा कि अपनी भाषा के प्रति लगाव और अनुराग राष्‍ट्र प्रेम का ही एक रूप है। हिंदी ने सभी भारत-वासियों को एक सूत्र में पिरोकर अनेकता में एकता की भावना को पुष्‍ट किया है। उन्होंने कहा कि आज ज़रूरत इस बात की है कि हम हिंदी को इसके सरल रूप में अपना कर अपने सभी सरकारी और व्यक्तिगत कार्य हिंदी में करने को प्राथमिकता देंI

इससे पूर्व समारोह में सभी अतिथियों का स्‍वागत करते हुए राजभाषा विभाग के संयुक्‍त सचिव डॉ. बिपिन बिहारी का कहना था कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में आयोजित किए जाने वाले इन राजभाषा सम्मेलनों एवं समारोहों की महत्वपूर्ण भूमिका हैI इन सम्मेलनों का उद्देश्‍य राजभाषा नीति के कार्यान्वयन में आ रही समस्याओं का समाधान ढूँढना और इस दिशा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कार्यालयों एवं कार्मिकों को पुरस्कृत कर उन्हें प्रोत्साहित करना हैI क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलनों के आयोजन से, राजभाषा से जुड़े विषयों पर विस्तृत विचार-विमर्श हेतु एक सशक्त मंच उपलब्ध होता है तथा सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहन मिलता हैI उन्‍होंने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी के वर्तमान दौर में सूचना प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से सभी नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों की रिपोर्टें राजभाषा विभाग को ऑनलाइन भेजी जाती हैंI राजभाषा विभाग ने देश भर में गठित सभी नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों (नराकासों) के लिए संयुक्त वेबसाइट भी तैयार की हैI इससे सभी समितियां एक दूसरे के कार्यकलापों से भी अवगत हो सकेंगी और अनुकरणीय कार्य कर सकेंगीI इस प्रणाली के तहत अब कुछ नराकास बैठकों की कार्यसूची, कार्यवृत्त आदि सभी संगत सूचनाएं राजभाषा विभाग को ऑनलाइन भेज रही हैंI

डॉ. बिपिन बिहारी ने कहा कि क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालयों के प्रभारी अधिकारी अपने क्षेत्र की सभी सूचनाएं नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों की संयुक्‍त वेबसाइट पर अपलोड कराकर उसे सत्‍यापित करें। यह पुरस्कारों के मूल्यांकन के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैI

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