उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा औरअंतरिक्ष मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा किउत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय ने सभी 8 राज्यों में कोविड-19 के प्रभावी प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने हेतु 250 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि आवंटित की है। उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय की संसदीय परामर्श समिति कीआज यहां एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस धनराशि ने कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों के प्रबंधन हेतु बुनियादी ढांचा विकसित करने में बड़े पैमाने पर मदद की है। संसद की परामर्श समिति के अधिकांश सदस्यों ने महामारी से मुकाबले के लिए मंत्रालय के समयबद्ध सहयोग हेतु उसकी भूमिका की प्रशंसा की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कोविड महामारी कीशुरुआती स्थितियों का स्मरण करते हुए कहा कि जब कोरोनावायरस का प्रसार शुरुआती चरण में था तब उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय ने तत्परता से 25 करोड़ रुपये उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए जारी किए थे ताकि कोविड महामारी से मुक़ाबले की उपयुक्त तैयारी में कोई कोताही ना रहे। यह धनराशि केंद्र द्वारा जारी की जाने वाली किसी भी प्रकार की धनराशि से संबद्ध नहीं थी और इसका इस्तेमाल कोविड-19 महामारी से जुड़ी किसी भी प्रकार की गतिविधि के लिए किया जा सकता था।
इस बैठक में लोकसभा सदस्य श्री रेबती त्रिपुरा, डॉ. राजकुमार रंजन सिंह, श्री तापीर गाओ, श्री अब्दुल ख़ालिक़, श्री रामप्रीत मण्डल और सी लाल रोसंगा ने भी हिस्सा लिया।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय में सचिव डॉ. इंद्रजीत सिंह, पर्यटन मंत्रालय में सचिव श्री अरविंद सिंह और उत्तर-पूर्वी परिषद के सचिव श्री के मोसेस चलाई भी बैठक में उपस्थित रहे। इसके अलावा उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय तथा पर्यटन, रेलवे, नागरिक उड्डयन, दूरसंचार, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, विद्युत, बन्दरगाह, पोत एवं जल परिवहन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।
बैठक के एजेंडे में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विशेष बुनियादी विकास योजना (एनईएसआईडीएस) और विशेष पैकेज एनईआर की समीक्षा करना था। साथ ही उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास से जुड़े अन्य विभिन्न मुद्दों पर भी आज की बैठक में चर्चा की गई। साथ ही नॉन एक्जेम्प्ट केंद्रीय विभागों और मंत्रालयों द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र में जीबीएस के 10 प्रतिशतइस्तेमाल से जुड़े मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पिछड़े समुदायों और उपेक्षित क्षेत्रों के लिए अलग से एनईसी बजट जैसी विभिन्न महत्वपूर्ण पहल के लिए संसद सदस्यों की प्रशंसा की जिसकी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र से लंबे समय से मांग की जा रही थी। उन्होंने बांस के समग्र विकास की योजना के बारे में भी सदस्यों को जानकारी दी और बताया कि बांस की टोकरी, अगरबत्ती औरलकड़ी का कोयला बनाने के लिए 3 क्लस्टर्सजम्मू, कटरा और सांबा मंजूर किए गए हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक सदी पुराने भारतीय वन अधिनियम के संशोधन का उल्लेख किया जिसके द्वारा देश में उगाये जाने वाले बांस को वन अधिनियम से बाहर लाया गया। फर्नीचर, हस्तशिल्प तथा अगरबत्ती जैसे घरेलू बांस उद्योगों को बढ़ावा देने के क्रम में बांस के कच्चे माल के आयात पर 25% का आयात शुल्क भी बढ़ाया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद सदस्यों को आश्वासन दिया कि आने वाले दिनों में संपर्क बाढ़, नियंत्रण, वर्षा जल संग्रहण, पर्यटन, बुनियादी ढांचागत विकास, दूरसंचार, आवासीय विद्यालय और अन्य लंबित मांग को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय अन्य मंत्रालयों के लिए सहायक एवं मार्गदर्शक की भूमिका अदा करेगा और ऐसी किसी भी परियोजना की पहचान करने के लिए मंत्रालय सीधे उनसे संपर्क कर सकते हैं।